आइएस का समर्थन नहीं आकर्षण बना बड़ा खतरा

भारतीय जांच एजेंसियों ने हैदराबाद में जिन युवाओं को पकड़ा था उनमें से एक भी सीधे तौर पर आइएस से नहीं जुड़ा है लेकिन सभी उसके उद्देश्यों को सही मानते हैं।

By anand rajEdited By: Publish:Sun, 03 Jul 2016 01:00 AM (IST) Updated:Sun, 03 Jul 2016 04:42 AM (IST)
आइएस का समर्थन नहीं आकर्षण बना बड़ा खतरा

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। एक हफ्ते पहले हैदराबाद में खूंखार आतंकी संगठन आइएसआइएस के एक देशी मॉड्यूल का पर्दाफाश करने के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों को जिस बात का शक था ढाका हमले ने उसे पुख्ता कर दिया है। शक इस बात का कि इस पूरे क्षेत्र में युवाओं का झुकाव बहुत तेजी से इस आतंकी संगठन की तरफ हो रहा है।

भारतीय जांच एजेंसियों ने पिछले हफ्ते हैदराबाद में जिन युवाओं को पकड़ा था उनमें से एक भी सीधे तौर पर आइएस से नहीं जुड़ा है लेकिन हर सदस्य उसके उद्देश्यों को सही मानते हुए उसके मुताबिक कदम उठाने को जायज मानता है।यही वजह है कि भारतीय जांच एजेंसियां ढाका हमले पर न सिर्फ पैनी नजर रखे हुए हैं बल्कि भारत व बांग्लादेश के बीच खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान करने को लेकर बेहद गहरे ताल्लुक बनाने की भी तैयारी है।

इस महीने ही भारत और बांग्लादेश के विदेश मंत्रियों की बैठक होनी है। बैठक में आतंकी समूहों की गतिविधियों से जुड़ी सूचनाओं को साझा करने का मौजूदा तंत्र और भी प्रगाढ़ किया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक दोनो देशों के बीच पहले से ही खुफिया सूचनाओं के आदान प्रदान करने को लेकर एक समझौता है जिसके तहत कई भारतीय आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई भी संभव हुई है लेकिन मौजूदा परिस्थितियों के मुताबिक इसे और केंद्रित करने की जरुरत है।

मई, 2016 में जब विदेश सचिव एस जयशंकर ने ढाका का दौरा किया था तब भी उनकी खुफिया सूचनाओं के नेटवर्क को मजबूत करने को लेकर बातचीत हुई थी। दोनों देशों के गृह सचिवों के बीच पिछले वर्ष इस बारे में एक समझौता भी हुआ था।सूत्रों के मुताबिक अभी दो महीने पहले ही आइएसआइएस ने बांग्लादेश के जरिए भारत पर हमला करने की खुलेआम धमकी दी थी। दाबिक नाम के एक समाचार पत्र में आइएसआइएस के एक आतंकी सरगना शेख अबु इब्राहिम ने कहा था कि भारत पर हमला करने के लिए बांग्लादेश का चयन किया गया है क्योंकि यह रणनीतिक तौर पर हमला करने के लिए सही है।

उसने इन दोनों देशों के स्थानीय आतंकियों से इस काम में सहयोग भी मांगा था। उस आतंकी का साक्षात्कार को बांग्लादेश के मीडिया में खूब उछाला गया था। हो सकता है कि यह संयोग हो लेकिन सच्चाई यह है कि उसके बाद से बांग्लादेश में आतंकी घटनाओं में तेजी आ गई है। हिंदुओं और उदारवादियों पर हमले बढ़ गये हैं। पिछले 48 घंटे में दो अलग अलग उदाजगहों पर बांग्लादेश में दो हिंदूओं की हत्या हो चुकी है।

आतंरिक सुरक्षा विशेषज्ञ उदय भाष्कर मानते हैं कि बांग्लादेश में आइएस या अल-कायदा का बढ़ता प्रभाव भारतीय एजेसियों के लिए आने वाले दिनों में सबसे चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। ढाका और इसके पहले इस्तानबुल हवाई अड्डे पर हमला यह साबित करता है कि आइएसआइएस हर जगह हमला करवाने के लिए सीधे निर्देश नहीं देता बल्कि उसके आकर्षण में स्थानीय आतंकी संगठन इस तरह की घटनाओं को अंजाम देंगे। भारतीय एजेंसियों को पहले ही इस बात के सबूत मिले हैं कि पश्चिम बंगाल में आइएसआइएस के समर्थकों की संख्या कम नहीं है।

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