सिद्धू की सुरक्षा वापसी से बढ़ी गठबंधन में गांठ

पूर्व भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू की सुरक्षा वापस लिए जाने से अकाली-भाजपा गठबंधन में कुछ दिन पूर्व पड़ी गांठ और बढ़ गई है। सरकार द्वारा सिद्धू की सुरक्षा वापस लिए जाने को पिछले सप्ताह उनके द्वारा हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार दौरान की गई तल्ख टिप्पणियों से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बीच, सरकार ने इस बात का

By Rajesh NiranjanEdited By: Publish:Wed, 15 Oct 2014 11:58 AM (IST) Updated:Wed, 15 Oct 2014 11:59 AM (IST)
सिद्धू की सुरक्षा वापसी से बढ़ी गठबंधन में गांठ

चंडीगढ़, [हरिश्चंद्र]। पूर्व भाजपा सांसद नवजोत सिंह सिद्धू की सुरक्षा वापस लिए जाने से अकाली-भाजपा गठबंधन में कुछ दिन पूर्व पड़ी गांठ और बढ़ गई है। सरकार द्वारा सिद्धू की सुरक्षा वापस लिए जाने को पिछले सप्ताह उनके द्वारा हरियाणा विधानसभा चुनाव के प्रचार दौरान की गई तल्ख टिप्पणियों से जोड़कर देखा जा रहा है। इस बीच, सरकार ने इस बात का खंडन किया है कि बीते करीब छह माह से राजनीतिक वनवास भोग रहे नवजोत सिद्धू की सुरक्षा वापस ली गई है।

उप मुख्यमंत्री सुखबीर बादल के मीडिया सलाहकार जंगवीर सिंह ने कहा है कि यह रूटीन प्रक्रिया है। सरकार समय-समय पर लोगों को दी जा रही सुरक्षा की समीक्षा करती है। पहले भी 2000 से अधिक पुलिस कर्मियों को इस तरह वीआइपी लोगों की सुरक्षा से हटाकर अन्य कार्यो में लगाया गया है। इस बार 400 सुरक्षाकर्मी वापस बुलाए गए हैं। सुखबीर बादल ने डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि जब भी नवजोत सिद्धू पंजाब में हों, उन्हें उचित सुरक्षा प्रदान की जाए। गृह विभाग सुखबीर बादल के पास है और अब यह माना जा रहा है कि अकाली दल सिद्धू की बयानबाजी को लेकर बैकफुट पर आने के बजाय हमलावर रुख अपनाने के मूड में है।

सिद्धू हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल समेत अकाली दल पर तीखे बयान दागकर सुर्खियों में आए थे। वह छह माह से राजनीतिक तौर पर अलग-थलग थे, मगर हरियाणा में प्रचार के पहले ही दिन उन्होंने अकालियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। हरियाणा में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह व सुषमा स्वराज और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह समेत किसी ने भी अकाली दल या बादल परिवार पर टिप्पणी नहीं की थी, मगर सिद्धू ने इन्हें ही घेरा। उन्होंने भाजपा प्रत्याशियों के प्रचार दौरान कांग्रेस पर कम हमले बोले और इनेलो व अकाली दल पर ज्यादा।

इसके बाद से सीएम बादल और अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने सिद्धू की बयानबाजी पर कोई टिप्पणी नहीं की थी, मगर प्रचार से राजधानी चंडीगढ़ लौटते ही सबसे पहले कई अन्य लोगों के साथ ही सिद्धू की सिक्योरिटी वापस ले ली गई। जाहिर है कि अकाली दल भी इस मामले को लेकर गंभीर है और वह भाजपा द्वारा बनाए जा रहे दबाव को लेकर झुकने वाला नहीं है। खास बात है कि बादल परिवार और सिद्धू के बीच दो साल से जारी वाकयुद्ध के बाद अब भी सरकार ने किसी अन्य भाजपा नेता को छूने के बजाय सिद्धू पर ही सीधा हमला बोला है। सरकार द्वारा उठाए इस कदम के बाद पंजाब के भाजपा नेता सिद्धू के हक में खड़े हो गए हैं। यहां तक कि उनके विरोधी रहे कई नेता भी इस कदम के लिए सरकार की निंदा कर रहे हैं।

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