महाराष्ट्र में शिवसेना को सरकार के साथ लेने के प्रयास शुरू

महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में शिवसेना को शामिल करने के प्रयास एक बार फिर शुरू हो गया है। बातचीत सफल रही है अगले सप्ताह होनेवाले मंत्रिमंडल विस्तार में शिवसेना के मंत्री भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने खुलासा किया है कि शिवसेना से बातचीत का जिम्मा राज्य सरकार के

By manoj yadavEdited By: Publish:Thu, 27 Nov 2014 04:07 PM (IST) Updated:Thu, 27 Nov 2014 04:31 PM (IST)
महाराष्ट्र में शिवसेना को सरकार के साथ लेने के प्रयास शुरू

मुंबई [ओमप्रकाश तिवारी]। महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में शिवसेना को शामिल करने के प्रयास एक बार फिर शुरू हो गया है। बातचीत सफल रही है अगले सप्ताह होनेवाले मंत्रिमंडल विस्तार में शिवसेना के मंत्री भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने खुलासा किया है कि शिवसेना से बातचीत का जिम्मा राज्य सरकार के सहकारिता मंत्री चंद्रकांत पाटिल एवं केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को सौंपा गया है। निर्णय के सभी अधिकार इन दोनों नेताओं को दिए गए हैं। जरूरत पडऩे पर ये दोनों नेता मुख्यमंत्री फडऩवीस एवं केंद्रीय नेताओं से बात कर सकते हैं।

फडऩवीस का कहना है कि शिवसेना और भाजपा ने हाल का विधानसभा चुनाव भले ही एक दूसरे के विरुद्ध लड़ा हो, लेकिन उससे पहले दोनों 25 वर्षों तक साथ रहे हैं। भाजपा हमेशा चाहती रही है कि शिवसेना उसके साथ रहे। इसलिए दोनों दलों के बीच शुक्रवार से पुन: बातचीत शुरू होगी। फडऩवीस के अनुसार एक-दो दिन पहले वह स्वयं शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से इस संबंध में प्रारंभिक बातचीत कर चुके हैं। बताया जा रहा है कि इस बार की बातचीत शिवसेना की ओर से स्वयं उद्धव ठाकरे करेंगे और यह बातचीत उनके बांद्रा स्थित निवास मातोश्री पर ही होगी।

आठ दिसंबर से नागपुर में शुरू हो रहे विधानमंडल के शीतकालीन सत्र से पहले ही फडऩवीस मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना है। माना जा रहा है कि इस मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा चार छोटे साथी दलों के साथ फिलहाल मुख्य विपक्ष की भूमिका निभा रही शिवसेना को भी शामिल करना चाहती है। ताकि तीन सप्ताह चलने वाले शीतकालीन सत्र में दबाव कम रखा जा सके। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से शिवसेना-भाजपा के साथ आने की अटकलें लगाई जा रही हैं। लेकिन शिवसेना द्वारा उपमुख्यमंत्री पद एवं कुछ विशेष विभागों पर अड़े रहने के कारण बात आगे नहीं बढ़ सकी। शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा सरकार को समर्थन देने के कारण भी भाजपा सुरक्षित महसूस कर रही थी। लेकिन अब भाजपा शिवसेना सहित अपने सभी साथी दलों को साथ लेकर निश्चिंततापूर्वक सरकार चलाना चाहती है।

बता दें कि राज्य में सूखे की स्थिति को लेकर शिवसेना काफी आक्रामक तेवर दिखा रही है। संसद और विधानसभा दोनों जगह कांग्रेस भी भाजपा को घेरने का प्रयास कर रही है। राज्य में भाजपा को समर्थन देने की बात करने वाली राकांपा के नेता शरद पवार के भी किसानों के मुद्दे पर किसान नेता शरद जोशी से हाथ मिलाने की अटकलें गरम हैं। कांग्रेस के पूर्व मंत्री मोहम्मद आरिफ नसीम खान द्वारा भाजपा की अल्पमत सरकार को संवैधानिक बताते हुए मुंबई उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। माना जा रहा है कि इन सभी दबाओं से छुटकारा पाने के लिए ही अब भाजपा विपक्ष में बैठ रही अपनी पुरानी साथी शिवसेना से पुन: गलबहियां करने को तैयार है।

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