गैंगस्टर मामले में सजा के खिलाफ अफजाल अंसारी की अपील पर सुनवाई आज, भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या का मामला
भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड को लेकर अफजाल अंसारी के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में गैंगस्टर एक्ट का केस दर्ज किया गया था। विशेष अदालत ने अफजाल अंसारी को इस मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है जिसके खिलाफ अपील दाखिल की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपील की जल्द सुनवाई का आदेश दिया है और कहा है कि 30 जून तक सुनवाई कर ली जाए।
विधि संवाददाता, प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट गुरुवार को गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी को गैंगस्टर एक्ट के तहत विशेष अदालत गाजीपुर से चार वर्ष कैद और एक लाख रुपए जुर्माने के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई करेगा। याची के अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपील की जल्द सुनवाई का आदेश दिया है और कहा है कि 30 जून तक सुनवाई कर ली जाए।
गौरतलब है कि भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड को लेकर अफजाल अंसारी के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में गैंगस्टर एक्ट का केस दर्ज किया गया था। विशेष अदालत ने अफजाल अंसारी को इस मामले में दोषी करार देते हुए सजा सुनाई है, जिसके खिलाफ अपील दाखिल की गई है।
जमानत मंजूर, लेकिन सजा पर नहीं लगाई थी रोक
हाईकोर्ट ने अफजाल अंसारी की जमानत मंजूर कर ली थी, लेकिन सजा पर रोक नहीं लगाई थी। इस कारण संसद से उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए अपील जल्द सुने जाने का आदेश दिया।
हेट स्पीच मामले में पूर्व मेयर व पूर्व विधायक को राहत इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हेट स्पीच मामले में अलीगढ़ के पूर्व मेयर, पूर्व विधायक व सभासद के खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने मुकदमे की कार्यवाही पर भी रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने पूर्व मेयर मोहम्मद फुरकान, पूर्व विधायक जमीरुल्लाह और अन्य आरोपियों की याचिका पर यह आदेश दिया है।
अलीगढ़ में 2017 में भाजपा नेता राजेंद्र वार्ष्णेय ने अलीगढ़ के पूर्व मेयर मोहम्मद फुरकान, पूर्व विधायक जमीर उल्लाह, सूरज सिंह पूर्व जिलाध्यक्ष बसपा, अधिवक्ता अशोक कुमार सिंह और सभासद मुशर्रफ के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में नफरती भाषण देने सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। मामले की सुनवाई विशेष न्यायालय एमपी/एमएलए में चल रही है।
विशेष अदालत ने इस मामले में 20 अक्टूबर 2023 को समन व 19 मार्च 2023 को गैर जमानती वारंट जारी किया। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचियों के अधिवक्ता का कहना था कि याचियों पर मुकदमा चलाने के लिए सरकार से पूर्व अनुमति नहीं ली गई जो नियमानुसार जरूरी है। कोर्ट ने इस मामले की सरकार से जवाब मांगते हुए अगली तारीख तक याचियों के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।