मार्बल के टुकड़े को तराशकर चने के बराबर मूर्ति बनाई, प्रणब दा को अनूठी श्रद्धांजलि

भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी एवं ललित कला अकादमी के सदस्य अंकुश देवांगन ने चने के दाने जितनी छोटी मूर्ति बनाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Thu, 03 Sep 2020 10:29 PM (IST) Updated:Thu, 03 Sep 2020 10:29 PM (IST)
मार्बल के टुकड़े को तराशकर चने के बराबर मूर्ति बनाई, प्रणब दा को अनूठी श्रद्धांजलि
मार्बल के टुकड़े को तराशकर चने के बराबर मूर्ति बनाई, प्रणब दा को अनूठी श्रद्धांजलि

भिलाई, जेएनएन। भारतरत्न दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को हर किसी ने अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दी, इस बीच एक कलाकार ने मार्बल के टुकड़े को तराशकर चने के बराबर प्रणब दा की मूर्ति बनाई है। चेहरे की बनावट और चश्मे को बहुत की बारीकी से तराशा गया है। एक सप्ताह की मेहनत के बाद मूर्ति तैयार हो गई है। इसे रंगकर उसमें जान फूंकने की मानो कोशिश की गई है।

भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी एवं ललित कला अकादमी के सदस्य अंकुश देवांगन ने चने के दाने जितनी छोटी मूर्ति बनाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया है। प्रणब दा जब अस्पताल में भर्ती कराए गए थे, तब इसका निर्माण एक सप्ताह पूर्व शुरू किया गया था। इनकी सेहत की मनोकामना के लिए इसे समर्पित करना था। इससे पहले ही निधन की खबर आ गई। अंकुश बताते हैं कि निधन के बाद लगातार तीन दिन तक मूर्ति को बनाने का काम चलता रहा। प्रणब मुखर्जी की सबसे छोटी मूर्ति बनाने के बाद इसको अपने नाखून पर रखकर प्रदर्शित भी किया।

घड़ी कारीगर की दूरबीन व ब्रश के एक बाल की मदद से बनाई मूर्ति

मूर्तिकार अंकुश देवांगन बताते हैं कि मार्बल के छोटे टुकड़ों से मूर्ति बनाने का हुनर उनके पास है। भिलाई इस्पात संयंत्र में नौकरी के साथ इस शौक को भी वह पूरा कर रहे हैं। प्रणब मुखर्जी की मूर्ति के लिए करीब चार-पांच इंच का टुकड़ा लिया था। उसको ब्लेड और अन्य उपकरण से कुरेदकर आकार दिया गया। आंख, नाक, कान और होंठ बनाने में सबसे ज्यादा मेहनत लगी।

घड़ी बनाने वाले कारीगर जिस दूरबीन का उपयोग करते हैं, उसी से मूर्ति बनाई। चने के बराबर मूर्ति बनने के बाद उसको रंगना बड़ी चुनौती थी। इसके लिए ब्रश में से एक-दो बाल निकाला। इससे मूर्ति को रंगने में सफलता मिली। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध मूर्तिकार अंकुश देवांगन को दुनिया की सबसे छोटी मूर्तियां बनाने के लिए लिम्का बुक ऑफ दॅ रिकार्ड में नाम दर्ज करा चुके हैं।

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