गुर्जर सहित पांच जातियों को 5 फीसदी आरक्षण का विधेयक पारित

अब गुर्जर समाज के साथ ही रायका,बंजारा,रैबारी,गाड़िया लुहारों को भी ओबीसी में आरक्षण मिल सकेगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Thu, 26 Oct 2017 05:58 PM (IST) Updated:Thu, 26 Oct 2017 05:58 PM (IST)
गुर्जर सहित पांच जातियों को 5 फीसदी आरक्षण का विधेयक पारित
गुर्जर सहित पांच जातियों को 5 फीसदी आरक्षण का विधेयक पारित

जागरण संवाददाता,जयपुर। राजस्थान में ओबीसी आरक्षण 21 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी करने और गुर्जर सहित पांच जातियों को अलग से 5 फीसदी आरक्षण देने के लिए राज्य विधानसभा में गुरूवार को विधेयक पारित कर दिया गया । अब गुर्जर समाज के साथ ही रायका,बंजारा,रैबारी,गाड़िया लुहारों को भी ओबीसी में आरक्षण मिल सकेगा । हालांकि इससे पहले भी सरकार ने इन जातियों को तीन बार विधेयक पास कराकर आरक्षण दिया,लेकिन तीनों बार हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी ।

राज्य के समाज कल्याण मंत्री अरूण चतुर्वेदी ने बुधवार को राजस्थान पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण ) विधेयक,2017 पेश किया था,जिसे गुरूवार को दिनभर चली बहस के बाद पारित कर दिया गया । बहस के दौरान विधायकों द्वारा किए गए सवाल और जताई गई आशंकाओं का जवाब देते हुए चतुर्वेदी ने बताया कि 21 से बढ़ाकर 26 फीसदी किया गया ओबीसी आरक्षण दो भागों बंटेगा । एक भाग में 21 फीसदी आरक्षण होगा,जिसमें पहले की जातियां ही शामिल रहेंगी । वहीं दूसरे भाग में 5 फीसदी आरक्षण होगा,जिसमें गुर्जर समाज सहित पांच जातियां शामिल होंगी।

उल्लेखनीय है कि राज्य में अभी अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत,अनुसूचित जनजाति को 12 प्रतिशत और ओबीसी को 21 प्रतिशत आरक्षण मिला हुआ है । इस प्रकार अब तक 49 प्रतिशत कुल आरक्षण दायरे में आने वाली जातियों को मिला हुआ है। अब गुरूवार को विधेयक पास होने के बाद 5 फीसदी आरक्षण ओर दे दिया गया।  इस प्रकार अब कुल आरक्षण 49 से बढ़कर 54 प्रतिशत हो जाएगा। ऐसे में चौथी बार भी 5 जातियों को आरक्षण का मामला कोर्ट मे अटक सकता है । नियमानुसार आरक्षण 50 फीसदी से अधिक नहीं दिया जा सकता। हालांकि राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इंन्द्रा साहनी केस का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश में आधी से अधिक आबादी ओबीसी की है। ऐसी विशेष परिस्थितियों में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक हो सकता है ।

चतुर्वेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी एवं नागरजन के मामले में दिए निर्णय की चर्चा करते हुए कहा कि विशेष परिस्थितियों में 52 प्रतिशत आरक्षण दिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि गुर्जर सहित पांच जातियों के आर्थिक एवं पिछड़ेपन के हालात के लिए सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी और ओबीसी आयोग से रिपोर्ट ली गई, इन दोनों ही रिपोर्टों में पांचों जातियों को अति पिछड़ा बताया गया । उन्होंने बताया कि गुर्जर समाज के पिछड़ेपन का हालात यह है इस जाति से मात्र एक आईएएस अधिकारी है,वह भी पंजाब कैड़र में वहीं,राजस्थान प्रशासनिक सेवाओं में मात्र 8 अधिकारी है।

चतुर्वेदी ने कहा कि केन्द्र सरकार ने 52 प्रतिशत ओबीसी की जनसंख्या के आधार पर 27 प्रतिशत ओबीसी में आरक्षण की सीमा तय कर रखी है। ऐसे में राजस्थान में भी यह होन चाहिए,प्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या करीब 52 प्रतिशत है,सरकार ने ओबीसी में आरक्षण कुल 26 प्रतिशत देने का प्रावधान किया है। बहस के दौरान भाजपा के वरिष्ठ विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने गुर्जर सहित पांच जातियों के साथ ही आर्थिक रूप से पिछड़ी सवर्ण जातियों को भी आरक्षण दिए जाने की वकालात की।

इस दौरान उनकी अपनी ही सरकार के मंत्रियों और विधायकों के साथ बहस भी हुई। बहस में भाजपा के प्रहलाद गुंजल,मानसिंह,कांग्रेस के धीरज गुर्जर,निर्दलिय हनुमान बेनीवाल और मानिक चंद सुराणा भी शामिल हुए। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के महामंत्री और वरिष्ठ एडवोकेट शैलेन्द्र सिंह ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौति की आशंका जताते हुए कहा कि अब यदि मामला कोर्ट में जाता है तो सरकार को आरक्षण दिए जाने के ठोस आधार पेश करने होंगे। उन्होंने गुर्जर सहित पांच जातियों को आरक्षण दिए जाने पर सरकार का आभार भी जताया।

प्रभावित हो सकती है 81 जातियां
अब तक राजस्थान में गुर्जर सहित पांच जातियों को तीन बार 5 फीसदी आरक्षण दिया गया,हर बार कोर्ट ने खारीज कर दिया,अब ओबीसी का आरक्षण 21 से बढ़ाकर 26 प्रतिशत करने के साथ ही प्रदेश में कुल आरक्षण 54 प्रतिशत हो जाएगा। यिद अगर एक ओबीसी आरक्षण को किसी ने कोर्ट में चेलेंज किया तो अटकना तय माना जा रहा है और यदि ऐसा होता है तो इस बार गुर्जरों के साथ ओबीसी में आने वाली 81 जातियां प्रभावित होंगी। उल्लेखनीय है कि गुर्जर आंदोलन के बाद सरकार ने चौपड़ा कमेटी की सिफारिश पर गुर्जर सहित पांच जातियों को साल,2008 में विधानसभा में पारित करा कर आर्थिक रूप से पिछड़ा मानकर आरक्षण दिया था,लेकिन उस समय हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी।

इसके बाद फिर आरक्षण आंदोलन हुआ और सरकार ने मई,2010 में विधानसभा में फिर एक विधेयक पास कराकर केवल गुर्जर समाज को एक फीसदी आरक्षण दिया गया,कुछ समय बाद फिर मामला कोर्ट में पहुंचा और कोर्ट ने स्टे लगा दिया। इसके बाद फिर आंदोलन हुआ तो सरकार ने अधिसूचना जारी कर गुर्जर समाज सहित पांच जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण दिया,हाईकोर्ट ने तीसरी बार स्टे लगा दिया। आरक्षण की मांगकर रहे गुर्जर समाज ने पिछले एक वर्ष से आंदोलन फिर तेज किया तो सरकार ने आरक्षण देने का वायदा करते हुए विधि विशेषज्ञों की राय लेना प्रारम्भ किया और गुरूवार को चौथी बार विधानसभा में विधेयक पास कराकर आरक्षण दिया गया।

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