उत्तर भारतीयों पर हिंसा मामले से छुटकारा चाहते हैं राज ठाकरे

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे ने कोर्ट से दरख्वास्त की है कि उन्हें 2008 में उत्तर भारतीय परीक्षार्थियों के विरुद्ध हुई हिंसा के मामले से बरी कर दिया जाए। मनसे प्रमुख का कहना है कि इस हिंसा के समय वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे।

By Edited By: Publish:Wed, 12 Jun 2013 08:54 PM (IST) Updated:Thu, 13 Jun 2013 01:17 AM (IST)
उत्तर भारतीयों पर हिंसा मामले से  छुटकारा चाहते हैं राज ठाकरे

मुंबई, जागरण संवाददाता। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे ने कोर्ट से दरख्वास्त की है कि उन्हें 2008 में उत्तर भारतीय परीक्षार्थियों के विरुद्ध हुई हिंसा के मामले से बरी कर दिया जाए। मनसे प्रमुख का कहना है कि इस हिंसा के समय वह घटनास्थल पर मौजूद ही नहीं थे।

राज ठाकरे के खिलाफ यह मामला अक्टूबर 2008 में दर्ज किया गया था, जब रेलवे की परीक्षा देने आए उत्तर भारतीय परीक्षार्थियों पर उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने हमला बोलकर उनके साथ मारपीट की थी। हमले के समय मनसे ने आरोप लगाया था कि रेल विभाग ने उक्त परीक्षा की सूचना स्थानीय लोगों को नहीं दी और उत्तर भारत के अखबारों में ही इस परीक्षा के विज्ञापन दिए गए। इसके विरोध में मनसे कार्यकर्ताओं ने परीक्षा स्थल पर जाकर नारेबाजी करने के साथ ही प्रश्नपत्र एवं उत्तर पुस्तिकाएं फाड़ डाली थीं। इस दौरान परीक्षार्थियों से मारपीट भी की गई थी। इस मामले में मुंबई पुलिस ने राज ठाकरे सहित मनसे के कई कार्यकर्ताओं के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की थी।

नवंबर 2009 में पुलिस द्वारा कोर्ट में 20 लोगों के विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल किया गया था। पुलिस ने इस मामले में 31 लोगों को गवाह बनाया है, जिनमें 14 मराठी हैं। तब से चले आ रहे मुकदमे में राज ठाकरे के कोर्ट में पेश न होने पर बांद्रा कोर्ट ने 10 जून को उनके विरुद्ध वारंट जारी कर दिया था। इसके बाद राज ठाकरे मंगलवार को खुद कोर्ट में हाजिर हुए और इस मामले से स्वयं को बरी करने की कोर्ट से अपील की। कोर्ट ने उनके वकील से पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है।

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