Move to Jagran APP

कबाड़ वाहनों को चलाने के लिए अफसरों ने मांगे सरकारी चालक, फिर उनसे करवाया ये काम; हर महीने ऐंठी मोटी रकम

जिले में कृषि विभाग के अधिकारियों ने कबाड़ हो चुकी सरकारी गाड़ी के स्थान पर सरकारी वाहन चालकों से निजी गाड़ी चलवाई और डीजल व वाहन मरम्मत खर्च की मद में सरकारी कोष से हर महीने मोटी रकम ऐंठते रहे। इसी तर्ज पर मंडल के जिलों में भी कृषि विभाग के अधिकारी खेल कर रहे हैं। विभाग ने खराब वाहनों को निष्प्रयोज्य सूची में डाल रखा है।

By Jagran News Edited By: Aysha Sheikh Published: Mon, 29 Apr 2024 11:26 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2024 11:26 AM (IST)
कबाड़ वाहनों को चलाने के लिए अफसरों ने मांगे सरकारी चालक, फिर उनसे करवाया ये काम; हर महीने ऐंठी रकम

जागरण संवाददाता, कानपुर। कबाड़ गाड़ियों के नाम पर सरकारी कोष से डीजल खर्च की लूट कर रहे कानपुर के कृषि विभाग के अधिकारियों की तर्ज पर मंडल के जिलों के अधिकारी भी खेल कर रहे हैं। उप निदेशकों की पिछले साल तैयार रिपोर्ट में कानपुर देहात, कन्नौज व अन्य जिलों में जिन सरकारी वाहनों को खराब घोषित किया जा चुका है उनको चलाने के लिए अफसरों की ओर से सरकारी वाहन चालक मांगे जा रहे हैं।

loksabha election banner

जिले में कृषि विभाग के अधिकारियों ने कबाड़ हो चुकी सरकारी गाड़ी के स्थान पर सरकारी वाहन चालकों से निजी गाड़ी चलवाई और डीजल व वाहन मरम्मत खर्च की मद में सरकारी कोष से हर महीने मोटी रकम ऐंठते रहे। इसी तर्ज पर मंडल के जिलों में भी कृषि विभाग के अधिकारी खेल कर रहे हैं। जो वाहन पूरी तरह से खराब हालत में हैं और विभाग ने उन्हें निष्प्रयोज्य सूची में डाल रखा है।

कबाड़ वाहनों के लिए मांगे जा रहे चालक

उनके लिए भी वाहन चालक की मांग की जा रही है। कानपुर देहात के कृषि रक्षा अधिकारी (पीपीओ) रामनरेश पाल, भूमि संरक्षण अधिकारी डीके वर्मा, कन्नौज पीपीओ अविशांक कुमार, जिला कृषि अधिकारी आवेश कुमार ने वाहन चालक की तैनाती नहीं किए जाने का मामला मीडिया को भी बताया है। इन अधिकारियों का कहना है कि वाहन चालक नहीं होने की वजह से सरकारी काम-काज के निस्तारण में परेशानी हो रही है।

दूसरी ओर इस मामले में मंडल के सभी जिलों में उप निदेशक कृषि की ओर से संयुक्त निदेशक को जो रिपोर्ट दी गई है वह अलग ही तथ्य बयां कर रही है। इसके अनुसार रामनरेश पाल और डीके वर्मा के नाम पर दो सरकारी वाहन आवंटित हैं और दोनों ही खराब अवस्था में हैं। रामनरेश पाल को आवंटित सरकारी वाहन तो कार्यालय के बाहर जर्जर अवस्था में खड़ा है।

इसके पहिये मिट्टी में धंस चुके हैं। अविशांक सिंह को कोई सरकारी वाहन ही आवंटित नहीं है। औरेया के भूमि संरक्षण अधिकारी विमलेश कुमार का चालक वहां के जिलाधिकारी कार्यालय से संबद्ध है। रामनरेश पाल से जब वाहन चालक के बारे में फोन पर बात की गई तो उन्होंने बाजार में मौजूद होने की बात कहकर जवाब देने से मना कर दिया।

वाहन चालकों की तैनाती का आदेश मुख्यालय से दिया जाता है। मंडल में तैनात अधिकारियों में भी ज्यादातर के सरकारी वाहन अत्यंत खराब हालत में हैं। ऐसे में अगर वाहन चालक की मांग की जा रही है तो मांग के आधार को भी देखा जाएगा। - अशोक कुमार तिवारी, संयुक्त कृषि निदेशक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.