दो साल बाद 'घर' आकर रहेगी 'सुंदरी', अगले महीने शुरू हो जाएगी प्रक्रिया

ओडिशा से मध्यप्रदेश वापस लौट रही बाघिन सुंदरी को अब जीवनभर बाड़े में रहना है। वन अफसर बाघिन के लिए मुफीद जगह की तलाश कर रहे हैं।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 24 Jun 2020 06:03 AM (IST) Updated:Wed, 24 Jun 2020 06:03 AM (IST)
दो साल बाद 'घर' आकर रहेगी 'सुंदरी', अगले महीने शुरू हो जाएगी प्रक्रिया
दो साल बाद 'घर' आकर रहेगी 'सुंदरी', अगले महीने शुरू हो जाएगी प्रक्रिया

भोपाल, जेएनएन। दो साल बाद ओडिशा से मध्यप्रदेश वापस लौट रही बाघिन सुंदरी को अब जीवनभर बाड़े में रहना है। वन अफसर बाघिन के लिए मुफीद जगह की तलाश कर रहे हैं, जहां विशेष बाड़े बनाकर उसे रखा जाएगा। वैसे तो वन विहार राष्ट्रीय उद्यान ऐसे आदमखोर या चोटिल हो चुके वन्यप्राणियों के लिए सबसे अच्छा स्थान है। फिर भी दूसरे विकल्पों पर विचार चल रहा है। 

बाघिन को प्रदेश लाने की प्रक्रिया संभवत: अगले महीने शुरू हो जाएगी। फिलहाल वह ओडिशा के भुवनेश्वर नंदनकानन राष्ट्रीय उद्यान में है। ओडिशा का सतकोशिया टाइगर रिजर्व वन्यप्राणियों के शिकार के लिए कुख्यात है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने सतकोशिया को बाघों से आबाद करने के लिए मध्यप्रदेश से छह बाघ-बाघिन का जोड़ा मांगा था। उसमें से जून 2018 में कान्हा टाइगर रिजर्व से बाघिन सुंदरी और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ महावीर को भेजा गया।

बाघ महावीर का शिकार हो गया

दोनों के सतकोशिया पहुंचते ही ग्रामीणों ने उग्र विरोध शुरू कर दिया और चंद महीनों में ही बाघ महावीर का शिकार हो गया। ग्रामीणों ने बाघिन सुंदरी को भी मारने का प्रयास किया। उसे दो लोगों की मौत के बाद आदमखोर तक बताया गया। ग्रामीणों का विरोध बढ़ते देख ओडिशा के वन अफसरों ने सुंदरी को बाड़े में कैद कर दिया। वह करीब एक साल से नंदनकानन पार्क में बाड़े में है।

बाघिन को खुले जंगल में नहीं छोड़ सकते

बाघ प्रेमियों की मांग और दोनों बाघों की सुरक्षा में ओडिशा वन विभाग की नाकामी को देखते हुए बाघिन को वापस लाया जा रहा है पर उसे खुले जंगल में नहीं छोड़ सकते, क्योंकि बाघिन को लेकर ओडिशा वन विभाग लिखित में दे चुका है कि वह आदमखोर हो गई है। लिहाजा वन अफसरों की रिपोर्ट को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है।

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