सूर्यग्रहण से जुड़े अंधविश्‍वास पर न करें विश्‍वास, ये है हकीकत

हिंदू धर्म में ग्रहण शब्‍द को बहुत बुरा माना जाता है। सूर्य ग्रहण और या चंद्र ग्रहण दोनों को लेकर हिंदू धर्म में कई अंधविश्‍वास हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 13 Jul 2018 04:13 PM (IST) Updated:Fri, 13 Jul 2018 04:16 PM (IST)
सूर्यग्रहण से जुड़े अंधविश्‍वास पर न करें विश्‍वास, ये है हकीकत
सूर्यग्रहण से जुड़े अंधविश्‍वास पर न करें विश्‍वास, ये है हकीकत

नई दिल्‍ली [जेएनएन]। हिंदू धर्म में ग्रहण शब्‍द को बहुत बुरा माना जाता है। सूर्य ग्रहण और या चंद्र ग्रहण दोनों को लेकर हिंदू धर्म में कई अंधविश्‍वास हैं। हिंदू धर्म में ग्रहण को राहु-केतु नामक दो दैत्‍यों की कहानी से जोड़ा जाता है और इसके साथ ही कई अंधविश्‍वास भी इससे जुड़ जाते हैं। शुक्रवार को जब चांद, सूर्य और धरती के बीच से गुजरा तो आंशिक तौर पर सूर्य ग्रहण दिखाई दिया। जिसका नतीजा ये रहा कि दुनिया में कुछ जगहों पर सूर्य कुछ समय के लिए आंशिक तौर पर नहीं दिखा। एक तरफ जहां यह हिंद प्रशांत क्षेत्र में रहने वालों को दिखाई दिया तो वहीं दूसरी तरफ यह सलाह दी गई कि लोग इसे देखने के लिए स्पेशल ग्लास या फिर लेंस का इस्तेमाल करें ना कि नग्न आंखों से।

मान्‍यता: ग्रहण पड़े तो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
सत्‍य: प्राचीन समय में ऋषि-मुनियों द्वारा यह बात फैलाई गई थी की ग्रहण के वक्‍त घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इस विषय पर आचार्य विकास कहते हैं, ‘प्राचीन समय में लोगों को ज्‍यादा ज्ञान नहीं होता था और भय के सहारे उनसे काम करवाया जाता था। यह परंपरा आज तक चली आ रही है मगर आज लोग पढ़े लिखे हैं। ग्रहण पड़ने पर घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए यह बात सत्‍य है। क्‍योंकि सूर्य को ही धरती पर प्रकाश का स्रोत माना जाता है। प्राचीन समय में इलेक्ट्रिकसिटी नहीं हुआ करती थी इसलिए कहा जाता था कि अंधेरे में घर से बाहर नहीं निकला चाहिए। मगर आज प्रकाश लाने के ढेरों विकल्‍प ऐसे में ग्रहण पड़ने पर भी काम नहीं रुकते। जो लोग आज भी मानते हैं कि ग्रहण के वक्‍त घर से बाहर निकलने पर अनर्थ हो जाएगा वह अंधविश्‍वास के शिकार हैं।’

मान्‍यता: प्रेगनेंट महिलाओं पर ग्रहण का साया नहीं पड़ना चाहिए।
सत्‍य: यह एक बहुत बड़ा अंधविश्‍वास है। इससे जुड़ी लोगों की अलग-अलग मान्‍यताएं भी हैं। कोई कहता है कि ग्रहण का साया प्रेगनेंट महिला पर पड़ से बच्‍च अपंग पैदा होता तो कोई कहता है कि ग्रहण पड़ने पर प्रेगनेंट महिला को अपने शरीर पर गेरू (लाल रंग की मिट्टी )लगा लेना चाहिए। इस पर आचार्य विकास कहते हैं, ‘ग्रहण के वक्‍त जो किरणे पृथ्‍वी पर पड़ती हैं उसके कुछ साइडइफेक्‍ट होते हैं। इसलिए प्रेगनेंट महिलाओं को कुछ प्रकॉशन लेना चाहिए। मगर जब ग्रहण प्रभाव भारत पर पड़ रहा हो तब। बाकि विज्ञान ने इसके भी कई सारे विकल्‍प खोज लिए हैं। आज ग्रहण वाले दिन भी कई बच्‍चों का जन्‍म होता है और वह तंदुरुस्‍त भी होते हैं। डॉक्‍टर की सलाह से प्रेगनेंट महिलाओं चलना चाहिए न कि ग्रहण की दशा के अनुसार।’

मान्‍यता: ग्रहण में बना खाना जहर जैसा होता है।
सत्‍य: यह भी मिथ है। इसका संबंध भी प्रकाश से है। पहले के समय में कहा जाता था कि खाना हमेशा रौशनी में पकाया जाए ताकि साफ सुथरा पके और खाया भी रौशनी में चाहिए ताकि अन्‍न के साथ कुछ गलत चीज मुंह में न जाए। मगर आज ऐसा कुछ भी नहीं है। हर घर बिजली है और भरपूर रौशनी भी है। ऐसे में ग्रहण के वक्‍त खाना पकाया भी जा सकता है और खाया भी जा सकता है।

मान्‍यता: ग्रहण के वक्‍त भगवान का ध्‍यान करना चाहिए।
सत्‍य: अगर ग्रहण पूरे दिन रहेगा तो क्‍या पूरे दिन सारे काम छोड़ कर व्‍यक्ति को भगवान का ध्‍यान करना पड़ेगा। आचार्य चौरसिया कहते हैं, ‘प्राचीन समय में ग्रहण पड़ने से प्रकाश में कमी होती थी इसलिए सारे काम ठप हो जाते थे। लोग खाली वक्‍त में क्‍या करें इसलिए उन्‍हें पूजा पाठ करने को कहा जाता था। मगर आज की जीवनशैली में ऐसा संभव नहीं है। इसलिए ग्रहण पड़ने पर पूजा पाठ करने लॉजिक आज के समय में फेल है।’

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