महाराष्ट्र ने रोक रखे थे दिल्ली में कदम

महाराष्ट्र में लहर का असर थोड़ा कम न हुआ होता तो दिल्ली का फैसला संभवत: पहले ही हो जाता। महाराष्ट्र में बहुमत से पीछे रही भाजपा के मन में थोड़ा संशय जरूर था लेकिन केंद्रीय नेतृत्व अब मैदान फतह कर ही सत्ता में आने के पक्ष में है। प्रदेश नेतृत्व

By manoj yadavEdited By: Publish:Mon, 03 Nov 2014 08:22 PM (IST) Updated:Mon, 03 Nov 2014 11:29 PM (IST)
महाराष्ट्र ने रोक रखे थे दिल्ली में कदम

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में लहर का असर थोड़ा कम न हुआ होता तो दिल्ली का फैसला संभवत: पहले ही हो जाता। महाराष्ट्र में बहुमत से पीछे रही भाजपा के मन में थोड़ा संशय जरूर था लेकिन केंद्रीय नेतृत्व अब मैदान फतह कर ही सत्ता में आने के पक्ष में है। प्रदेश नेतृत्व को भी इसका इजहार कर दिया गया है। अब यह तय माना जा रहा है कि अगले ढाई-तीन महीने में दिल्ली विधानसभा का भी चुनाव हो जाएगा।

दिल्ली में जोड़-तोड़ की सरकार बनाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी वक्त मना कर दिया था जब सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण पहला हक भाजपा को मिला था। बताते हैं कि रविवार को मोदी की मौजूदगी में केंद्रीय नेताओं की बैठक में फिर से इसी निर्णय पर मुहर लगी और दिल्ली के भाजपा नेताओं को स्पष्ट कर दिया गया कि भाजपा पूर्ण बहुमत लाकर ही सरकार बनाना चाहेगी।

सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र में भी हरियाणा की तर्ज पर ही बहुमत मिल गया होता तो उसी वक्त दिल्ली को लेकर भी फैसले की घोषणा हो सकती थी। दिल्ली के चुनाव भी झारखंड और जम्मू-कश्मीर के साथ हो सकते थे। महाराष्ट्र और हरियाणा के बाद भाजपा झारखंड में भी सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त है। जम्मू-कश्मीर में कम से कम नंबर दो रहने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे में दिल्ली को फतह करना भी मुश्किल नहीं माना जा रहा है। हरियाणा में पंजाबी मुख्यमंत्री देकर और दंगे की तपिश झेल चुके सिख परिवारों को मुआवजा की घोषणा कर केंद्र सरकार ने माहौल भी बना दिया है। छठ में छुट्टी की घोषणा कर पूर्वाचलियों की पुरानी मांग भी पूरी की जा चुकी है तो स्वच्छता अभियान के जरिये खुद प्रधानमंत्री मोदी आम आदमी पार्टी के वोट बैंक में सेंध लगा चुके हैं।

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