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विदेशी निवेशकों ने अप्रैल में 6,300 करोड़ के शेयर बेचे, जानें क्या है इसकी वजह

अप्रैल में अब तक एफपीआई भारतीय बाजारों से 6300 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री कर चुके हैं। इक्विटी के अलावा एफपीआई ने 26 अप्रैल तक डेट बाजारों से 10640 करोड़ रुपये की बिक्री की है। आइए जानते हैं कि विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों में बिकवाली क्यों कर रहे हैं। क्या उन्हें किसी और जगह ज्यादा मिल रहा है या फिर भारतीय कानून अब उनके अनुकूल नहीं है।

By Agency Edited By: Suneel Kumar Published: Sun, 28 Apr 2024 05:17 PM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2024 05:17 PM (IST)
एफपीआई 26 अप्रैल तक डेट बाजारों से भी 10,640 करोड़ रुपये की बिक्री कर चुके हैं।

पीटीआई, नई दिल्ली। मॉरीशस के साथ भारत की कर संधि में बदलाव और अमेरिका में बॉन्ड पर यील्ड में वृद्धि ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को घरेलू इक्विटी बाजारों से बिक्री के लिए प्रेरित किया है। यही कारण है कि अप्रैल में अब तक एफपीआई भारतीय बाजारों से 6,300 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री कर चुके हैं। इससे पहले एफपीआई ने मार्च में 35,098 करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश किया था। इसी वर्ष फरवरी में एफपीआई का शुद्ध निवेश 1,539 करोड़ रुपये था।

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बिकवाली पर क्या है एक्सपर्ट की राय?

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार का कहना है कि इक्विटी और डेट बाजारों में एफपीआई की बिक्री का प्रमुख कारण अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में लगातार वृद्धि है। इस समय 10 वर्षीय बॉन्ड पर यील्ड करीब 4.7 प्रतिशत पहुंच गया है जो विदेशी निवेशकों के लिए काफी आकर्षक है।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि भारत और मॉरीशस के बीच कर संधि में किए गए बदलाव भी विदेशी निवेशकों को परेशान कर रहे हैं। इसके अलावा वैश्विक बाजारों से मिल रहे कमजोर संकेत भारत जैसे उभरते इक्विटी बाजारों के लिए अच्छा नहीं है।

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अच्छी बात यह है कि इक्विटी बाजारों में एफपीआई की पूरी बिक्री की भरपाई घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई), उच्च नेटवर्थ वाले व्यक्ति (एचएनआई) और खुदरा निवेशक कर रहे हैं। यही एकमात्र कारक है जो एफपीआई बिक्री पर हावी हो सकता है। कैलेंडर वर्ष 2024 में इक्विटी में एफपीआई का शुद्ध निवेश 4,589 करोड़ रुपये है।

डेट बाजारों से भी 10,640 करोड़ की बिक्री

डिपॉजिटरी के डेटा के अनुसार, इक्विटी के अलावा एफपीआई 26 अप्रैल तक डेट बाजारों से भी 10,640 करोड़ रुपये की बिक्री कर चुके हैं। एफपीआई ने इससे पहले डेट बाजारों में जनवरी, फरवरी और मार्च में क्रमश: 19,837, 22,419 और 13,602 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। जेपी मार्गन इंडेक्स में भारत सरकार के बांड शामिल होने से डेट बाजारों में यह निवेश हुआ था। पूरे कैलेंडर वर्ष के दौरान एफपीआई डेट बाजारों में 45,218 करोड़ का शुद्ध निवेश कर चुके हैं।

शीर्ष छह कंपनियों का पूंजीकरण बढ़ा

बीते सप्ताह बीएसई में सूचीबद्ध शीर्ष-10 में से छह कंपनियों के बाजार पूंजीकरण में 1.30 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इस दौरान एसबीआइ के पूंजीकरण में सबसे ज्यादा 45,158.54 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। इसके अलावा आईसीआईसीआई बैंक का पूंजीकरण 28,726.33 करोड़ रुपये बढ़ा है।

भारती एयरटेल के पूंजीकरण में 20,747.99 करोड़, आईटीसी के पूंजीकरण में 18,914.35 करोड़, एलआईसी के पूंजीकरण में 9,487.5 करोड़ और इन्फोसिस के पूंजीकरण में 7,699.86 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है। दूसरी ओर, रिलायंस इंडस्ट्री, एचडीएफसी बैंक, टीसीएस और एचयूएल के पूंजीकरण में कमी दर्ज की गई है।

अमेरिका से तय होगी बाजारों की चाल

इस सप्ताह अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरों पर फैसला करेगा। विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजारों की चाल इस सप्ताह कंपनियों के तिमाही नतीजों, फेडरल रिजर्व के फैसले और अन्य वैश्विक रुझानों से तय होगी।

इसके अलावा विदेशी निवेशकों की गतिविधियों, वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के मूल्य और रुपया-डालर के रुझान का भी शेयर बाजारों पर असर दिखेगा। बुधवार को महाराष्ट्र दिवस के अवसर पर अवकाश के कारण इस सप्ताह शेयर बाजारों में चार दिन ही कारोबार होगा।

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