अब एमबीबीएस के डाक्टर भी पढ़ेंगे आयुर्वेद का पाठ

जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों के इलाज में ज्यादा कारगर साबित हो रहा है आयुर्वेद...

By Gunateet OjhaEdited By: Publish:Wed, 22 Nov 2017 10:35 PM (IST) Updated:Wed, 22 Nov 2017 10:35 PM (IST)
अब एमबीबीएस के डाक्टर भी पढ़ेंगे आयुर्वेद का पाठ
अब एमबीबीएस के डाक्टर भी पढ़ेंगे आयुर्वेद का पाठ

नीलू रंजन, नई दिल्ली। जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों में तेज बढ़ोतरी और इसके इलाज में देशी चिकित्सा पद्धति की कामयाबी को देखते हुए सरकार एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में इसे शामिल करने जा रही है। इसके लिए बाकायदा एमबीबीएस के पाठ्यक्रम को बदलने की तैयारी चल रही है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) की महानिदेशक सौम्या विश्वनाथन के अनुसार इससे मरीजों का समग्र इलाज संभव हो सकेगा।

अगले महीने विश्व स्वास्थ्य संगठन में उप महानिदेशक का पद संभालने जा रही आइसीएमआर की मौजूदा महानिदेशक ने माना कि केवल ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धति के सहारे सभी रोगों को रोकथाम और उनका इलाज नहीं किया जा सकता है। इसके लिए चीन की तरह देशी और ऐलोपैथी चिकित्सा पद्धति बीमारियों के समग्र इलाज वक्त की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारतीय चिकित्सा परिषद अहम कदम उठाते हुए एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में बदलाव की तैयारी शुरु कर चुका है। इसके तहत एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में देशी चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी को भी शामिल किया जाएगा। यानी एमबीबीएस डाक्टरों के पास न सिर्फ एलोपैथी दवाइयों से बल्कि आयुर्वेदिक व यूनानी दवाइयों की जानकारी होगी। ऐसे में वह जरूरत के मुताबिक मरीज के इलाज में प्रभावकारी दवा का इस्तेमाल कर सकता है।

गौरतलब है कि किडनी, डायबटीज और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों के इलाज में एलोपैथ भी अब आयुर्वेद का लोहा मानने लगा है। अक्टूबर महीने के पहले सप्ताह में दिल्ली में हुए सोसायटी ऑफ रीनल न्यूट्रीशियन एंड मेटाबॉलिज्म (एसआरएनएमसी) के अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन में किडनी के इलाज में आयुर्वेद को शामिल करने का मुद्दा छाया रहा। खासतौर से आयुर्वेदिक दवा नीरी केएफटी की किडनी की बीमारी को बढ़ने से रोकने और खराब किडनी को काफी हद तक ठीक करने में मिल रही सफलता पर विशेष चर्चा हुई। ऐलोपैथ के डाक्टरों ने माना था कि ऐलोपैथ में किडनी का कोई प्रभावी इलाज नहीं है। आयुर्वेद का पुनर्नवा, जिसका इस्तेमाल नीरी केएफटी में किया जाता है, किडनी की खराब कोशिकाओं की ठीक करने में सक्षम है।

इसी तरह से दो नवंबर को बैंकाक में डायबटीज पर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी आयुर्वेद पर विशेष चर्चा हुई। दुनिया भर के डाक्टरों ने माना कि डायबटीज जैसी बीमारी के इलाज में आयुर्वेद अहम भूमिका निभा सकता है और इन दवाओं को आधुनिक चिकित्सा प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की जरूरत है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वक्त की इसी मांग को देखते हुए आयुर्वेद व अन्य देशी चिकित्सा पद्धति को फार्मल चिकित्सा प्रणाली में शामिल करने का फैसला किया गया है।

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