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अब होगा इनकम टैक्स में सुधार, आयकर कानून की समीक्षा को टास्क फोर्स गठित

केंद्र ने एक टास्क फोर्स गठित की है। यह 56 साल पुराने आयकर कानून की समीक्षा करेगी। इसके आधार एक नए प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करेगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 09:53 PM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 09:53 PM (IST)
अब होगा इनकम टैक्स में सुधार, आयकर कानून की समीक्षा को टास्क फोर्स गठित
अब होगा इनकम टैक्स में सुधार, आयकर कानून की समीक्षा को टास्क फोर्स गठित

हरिकिशन शर्मा, नई दिल्ली। वर्षो से लंबित जीएसटी को लागू कर देश की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में ऐतिहासिक परिवर्तन करने के बाद मोदी सरकार अब प्रत्यक्ष कर ढांचे में सुधार की दिशा में बढ़ रही है। इसके तहत सरकार नया आयकर कानून बनाने जा रही है। इस संबंध केंद्र ने एक टास्क फोर्स गठित की है। यह 56 साल पुराने आयकर कानून की समीक्षा करेगी। इसके आधार एक नए प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करेगी। माना जा रहा है कि नए कानून में मध्यवर्ग और उद्योग जगत को टैक्स में सीधे राहत देकर मांग व निवेश बढ़ाने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं।

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मौजूदा आयकर कानून 1961 में बना था। तब से लेकर अब तक इसमें कई बार संशोधन हो चुके हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल 1-2 सितंबर को नई दिल्ली में शीर्ष कर अधिकरियों के 'राजस्व ज्ञान संगम' में मौजूदा आयकर कानून की समीक्षा कर इसका मसौदा पुन: तैयार करने की जरूरत पर बल दिया था। एक जुलाई की मध्यरात्रि को जीएसटी के शुभारंभ के मौके पर प्रधानमंत्री ने संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित कार्यक्रम में महान वैज्ञानिक अलबर्ट आइंस्टीन के कथन 'अगर दुनिया में कोई चीज समझना सबसे ज्यादा मुश्किल है तो वह आयकर है' का उल्लेख किया था। यह कह करके उन्होंने यह स्पष्ट संकेत दिया था कि जीएसटी के बाद उनकी सरकार का लक्ष्य आयकर कानून में सुधार करना है। 2014 में सत्ता में आने से पूर्व भाजपा ने 'टैक्स टेररिज्म' से मुक्ति दिलाने का वादा भी किया था। इसी पृष्ठभूमि में ही सरकार ने यह टास्क फोर्स गठित की है।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के सदस्य (विधायी) अरविंद मोदी के नेतृत्व वाली यह छह सदस्यीय टास्क फोर्स विभिन्न देशों में प्रचलित प्रत्यक्ष कर प्रणालियों और सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय पद्धतियों का अध्ययन करेगी। इसके आधार पर देश की आर्थिक जरूरतों के हिसाब से उपयुक्त प्रत्यक्ष कर कानून का मसौदा तैयार करेगी। टास्क फोर्स छह माह में अपनी रिपोर्ट सीबीडीटी को सौंपेगी। इस स्थिति में सरकार अगले आम चुनाव में जाने से पूर्व प्रत्यक्ष कर कानून में बदलाव की घोषणा कर सकती है। जानकारों का मानना है कि अगर इस मसौदे में जनता को आयकर से छूट की कुछ अहम सिफारिशें आती हैं तो उसका राजनीतिक लाभ भी मिलेगा।

ये हैं टास्क फोर्स के सदस्य

टास्क फोर्स में पूर्व आइआरएस अधिकारी जीसी श्रीवास्तव, भारतीय स्टेट बैंक के गैर-आधिकारिक निदेशक और सीए गिरीश आहूजा, अन्‌र्स्ट एंड यंगके अध्यक्ष और क्षेत्रीय प्रबंधक राजीव मेमानी, कर अधिवक्ता मुकेश पटेल और आर्थिक थिंक टैंक इक्रियर की कंसल्टेंट मानसी केडिया को इसका सदस्य बनाया गया है। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम इस टास्क फोर्स में स्थायी रूप से आमंत्रित सदस्य होंगे।

इसलिए महत्वपूर्ण बदलाव

प्रत्यक्ष कर कानून में बदलाव इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकार का आधा कर राजस्व इन्हीं के माध्यम से आता है। वर्ष 2016-17 में कुल कर राजस्व 17,11,333 करोड़ रुपये रहा। इसमें प्रत्यक्ष करों के जरिये 8,49,818 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।

मोदी सरकार ने बनाई थी ईश्वर समिति

पहले भी मोदी सरकार ने आयकर कानून 1961 के प्रावधानों को सरल बनाने के लिए 27 अक्टूबर, 2015 को दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरवी ईश्वर की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय समिति का गठन किया था। समिति ने जनवरी, 2016 में पहली और दिसंबर, 2016 में दूसरी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। खास बात यह है कि ईश्वर समिति में तीन सदस्य- राजीव मेमानी, मुकेश पटेल और अरविंद मोदी अब इस नई टास्क फोर्स में भी शामिल हैं। समिति ने स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के जटिल नियमों को खत्म कर इस व्यवस्था को पारदर्शी और टैक्स रिफंड प्रणाली को करदाताओं के अनुकूल बनाने की सिफारिश की थी। उसने कर व्यवस्था में अनिश्चितता खत्म करने का सुझाव दिया था।

लोस में पेश हुआ था प्रत्यक्ष कर संहिता बिल

इससे पूर्व तत्कालीन संप्रग सरकार ने भी आयकर कानून 1961 को बदलने के इरादे से 2009 में 'प्रत्यक्ष कर संहिता' बनाने की दिशा में कदम उठाया था। उसने 2010 में प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) बिल भी संसद में पेश किया था। लेकिन पंद्रहवीं लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने के साथ ही यह विधेयक भी खत्म हो गया। संप्रग सरकार ने इस संहिता में व्यक्तिगत आयकर के संबंध में सालाना दो लाख रुपये तक की आय को करमुक्त रखने का प्रस्ताव किया था। इसके अलावा 2-5 लाख रुपये की आय पर 10 प्रतिशत, 5-10 लाख की आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आमदनी पर 30 प्रतिशत इनकम टैक्स लगाने की बात कही गई थी।

मोदी सरकार ने दी थी आयकर में छूट

हालांकि राजग सरकार ने सत्ता में आते ही व्यक्तिगत आयकर से छूट की सीमा बढ़ाकर सालाना ढाई लाख रुपये करने का फैसला किया। इसके अलावा भी मोदी सरकार ने संप्रग के दौर से लंबित जनरल एंटी अवॉइडेंस रूल्स (जीएएआर) को लागू किया। साथ ही कॉरपोरेट टैक्स की दर 30 से घटाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा भी की।

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