Delhi: अपनी बेटी से बार-बार दुष्कर्म के दोषी पिता को आजीवन कारावास की सजा, पीड़िता ने 17 वर्ष की उम्र में दिया बच्चे को जन्म
तीस हजारी कोर्ट ने अपनी नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के दोषी व्यक्ति को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कहा है कि अपराध इतना पैशाचिक था कि यह सजा कम करने वाली परिस्थितियों पर भारी पड़ा। अदालत ने कहा आजीवन सजा न्याय के साथ-साथ समाज के हित में भी काम करेगी। इसके अलावा यह दोषी को नष्ट नहीं करेगी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। तीस हजारी कोर्ट ने अपनी नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के दोषी व्यक्ति को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कहा है कि अपराध इतना पैशाचिक था कि यह सजा कम करने वाली परिस्थितियों पर भारी पड़ा।
अदालत ने कहा आजीवन सजा न्याय के साथ-साथ समाज के हित में भी काम करेगी। इसके अलावा, यह दोषी को नष्ट नहीं करेगी, हालांकि यह एक सामान्य निवारक के रूप में काम करेगी।
44 वर्षीय है आरोपी
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया ने ये फैसला 44 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ एक मामले में सुनवाई करते हुए दिया। अदालत ने उसे दुष्कर्म और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दोषी ठहराया था।
अदालत ने कहा अपराध की पैशाचिक प्रकृति और यह तथ्य कि पीड़िता दोषी की बेटी थी और उसकी देखभाल और सुरक्षा में थी, दोषी की व्यक्तिगत परिस्थितियों से अधिक महत्वपूर्ण है।
बार-बार किया दुष्कर्म, 17 वर्ष में दिया बच्चे को जन्म
अदालत ने कहा कि पीड़िता के साथ बार-बार दुष्कर्म किया गया, जिसके बाद उसने 17 वर्ष की उम्र में बच्चे को जन्म दिया। अदालत ने कहा कि पीड़िता द्वारा 2022 में दिए गए अंतरिम मुआवजे को स्वीकार करने से इनकार करना उस आघात को दर्शाता है, जिससे वह गुजर रही थी। अदालत ने कहा कि दोषी अदालत को नरम रुख अपनाने के लिए कोई ठोस कारण बताने में विफल रहा।