'नीट' नए सिरे से कराने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

एक दिन पहले ही मद्रास हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) - 2017 के रिजल्ट प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगाई है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Thu, 25 May 2017 07:31 PM (IST) Updated:Thu, 25 May 2017 07:31 PM (IST)
'नीट' नए सिरे से कराने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
'नीट' नए सिरे से कराने की याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

नई दिल्ली, एजेंसी। एमबीबीएस तथा बीडीएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए मौजूदा शिक्षा सत्र में नए सिरे से 'नीट' कराने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जस्टिस एल. नागेश्वर राव तथा नवीन सिन्हा की अवकाशकालीन पीठ के समझ उल्लेखित याचिका में आरोप लगाया गया कि परीक्षा के प्रश्न-पत्र बिहार में लीक हुए और यह राजस्थान तथा पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में भी सर्कुलेट हुए।

उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही मद्रास हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) - 2017 के रिजल्ट प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगाई है। मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए इस साल देश भर में 1900 से ज्यादा केंद्रों पर 7 मई को 11 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी है। सुप्रीम कोर्ट से भी नीट-2017 की रिजल्ट घोषणा पर रोक की मांग की गई है, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि मद्रास हाई कोर्ट परिणाम प्रकाशन पर अंतरिम रोक लगा चुका है, इसलिए मामले में तत्काल सुनवाई की सुनवाई जरूरत नहीं है।

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एक निजी ट्रस्ट की ओर से पेश वकील द्वारा मामले का उल्लेख किए जाने पर पीठ ने कहा, 'आप जो भी तर्क दे रहे हैं लेकिन तथ्य यह है कि परिणाम की घोषणा पर अंतरिम रोक है। भले यह रोक अन्य आधार पर हो लेकिन रिजल्ट घोषित नहीं किया जाएगा। फिर क्या अर्जेंसी है? आप अगले सप्ताह इस मामले का उल्लेख कर सकते हैं। हम अभी इसे खारिज नहीं कर रहे हैं।'

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मालूम हो कि मद्रास हाई कोर्ट में कई याचिका दाखिल कर कहा गया कि परीक्षा में प्रश्न-पत्र एक जैसे नहीं थे और अंग्रेजी तथा तमिल भाषा के प्रश्न-पत्रों में काफी अंतर था। इससे छात्रों के समानता के अधिकार का उल्लंघन हुआ है। इन याचिकाओं में भी 7 मई को आयोजित परीक्षा को रद्द कर नए सिरे से समान प्रश्न-पत्र से कराने की मांग की गई है।

हाई कोर्ट ने रिजल्ट घोषणा पर अंतरिम रोक लगाते हुए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया, सीबीएसई तथा स्वास्थ्य मंत्रालय से 7 जून को जवाबी हलफनामा मांगा है।

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