प्रदूषण 25 फीसद कम हुआ तो तीन साल और बढ़ जाएगी दिल्ली वालों की उम्र

वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तहत पांच वर्ष में दिल्ली में प्रदूषण का स्तर 30 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखा गया है।

By Edited By: Publish:Tue, 29 Jan 2019 09:43 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jan 2019 07:44 AM (IST)
प्रदूषण 25 फीसद कम हुआ तो तीन साल और बढ़ जाएगी दिल्ली वालों की उम्र
प्रदूषण 25 फीसद कम हुआ तो तीन साल और बढ़ जाएगी दिल्ली वालों की उम्र

नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली में बढ़ते पर्यावरण संकट का असर जनजीवन पर पड़ने लगा है। इससे दिल्ली में रहने वाले लोगों की उम्र कम हो रही है। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। माना जा रहा है कि नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (एनसीएपी) के तहत अगले पांच वर्षो में यदि दिल्ली के प्रदूषण स्तर में 20-30 फीसद की कमी भी कर ली जाए तो दिल्ली वालों की उम्र करीब तीन वर्ष बढ़ जाएगी।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने बीते 10 जनवरी को 2017 को आधार वर्ष मानते हुए अगले पांच वर्षो में हवा की गुणवत्ता में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि के लिए एनसीएपी शुरू किया था। एनसीएपी ने देश के 102 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कई तरह के प्रस्ताव दिए हैं।

एनसीएपी द्वारा किए गए सर्वे के बाद 102 शहरों में औसत से अधिक प्रदूषण का स्तर पाया गया था। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स रिपोर्ट के अध्ययन के अनुसार, अगर ये शहर प्रदूषण कम करने के एक्शन प्लान को पूरी तरह से लागू करते हैं, तो इसके बेहतर परिणाम सामने आएंगे।

अध्ययन रिपोर्ट में यह बात सामने आई है यदि सभी 102 शहरों में 25 प्रतिशत प्रदूषण में कमी आई, तो उनका पीएम 2.5 का स्तर 2016 के मुकाबले 14 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर कम हो जाएगा। इससे लोगों की उम्र में करीब 1.4 साल की बढ़ोतरी हो जाएगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 102 शहरों में 25 प्रतिशत प्रदूषण में कमी होने पर उत्तर प्रदेश के 13 शहर, बिहार के दो शहर और दिल्ली के लोगों की उम्र में करीब तीन वर्ष की बढ़ोतरी हो जाएगी। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में इंडेक्स बनाने वाले प्रोफेसर माइकल ग्रीनस्टोन का भी कहना है कि एनसीएपी को सफलतापूर्वक लागू करने से सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में लोगों की उम्र में तीन वर्ष की बढ़ोतरी होगी। एनसीएपी में इतनी क्षमता है कि वह भारतीय पर्यावरण नीति में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

chat bot
आपका साथी