आशिंक रूप से हासिल हुआ है मिलेनियम विकास लक्ष्य 2015
नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एनआरएचएम के तहत मिलेनियम विकास लक्ष्य 2015 आशिंक रूप से ही हासिल हो पाया है।
नई दिल्ली (आइएएनएस)। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत मिलेनियम विकास लक्ष्य 2015 आशिंक रूप से ही हासिल हो पाया है। नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि शिशु मृत्यु दर (आइएमआर) और मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में कमी लाने का लक्ष्य देशव्यापी स्तर पर पूरी तरह से नहीं साधा जा सका है। 2012-2017 की रूपरेखा में तय लक्ष्य से देश बहुत पीछे रह गया है।
सीएजी ने कहा है कि पीछे रह जाने के कारणों में से एक संस्थागत प्रजनन में कमी है। गांव से स्वास्थ्य केंद्र का दूर होना और परिवहन की सुविधा का नहीं होना भी एक कारण है। कई राज्यों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रजनन सुविधा है ही नहीं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और त्रिपुरा के 50 फीसदी केंद्रों में ऐसी ही स्थिति है।
असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में 50 से 80 फीसदी घरेलू प्रजनन में प्रशिक्षित प्रसव सहायिका नहीं होती है। इसी तरह हरियाणा, केरल, पश्चिम बंगाल और मेघालय में 80 फीसदी से ज्यादा घरेलू प्रजनन में प्रशिक्षित प्रसव सहायिका नहीं होती है।
केवल 349 बड़े बांधों के पास है आपदा कार्रवाई योजना
देश के 4,862 बड़े बांधों में से केवल 349 के पास ही आपदा कार्रवाई योजना है। जल संसाधन मंत्रालय की बाढ़ नियंत्रण एवं प्रबंधन योजना की प्रदर्शन रिपोर्ट में सीएजी ने इस तथ्य को रेखांकित किया है। देश के शीर्ष लेखा परीक्षक ने कहा है कि जांच के लिए चुने गए 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में केवल हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु ही ऐसे हैं जिसने मानसून से पहले और बाद में बांधों की जांच की थी। तीन राज्यों ने आंशिक जांच की।