किसान हित में मप्र सरकार का बड़ा कदम, छोटे और मझोले किसानों को नहीं चुकाना होगा साहूकारों का कर्ज

राजस्व विभाग ने इसका मसौदा तैयार कर विधि विभाग को भेज दिया है। इसे मंजूरी मिलने के बाद किसानों को वह ऋण नहीं चुकाना होगा जो 15 अगस्त 2020 के पहले गैर लाइसेंसी साहूकारों से लिया गया होगा। इसमें भूमिहीन कृषि श्रमिकों को भी शामिल करना प्रस्तावित है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Fri, 11 Dec 2020 08:00 PM (IST) Updated:Fri, 11 Dec 2020 08:13 PM (IST)
किसान हित में मप्र सरकार का बड़ा कदम, छोटे और मझोले किसानों को नहीं चुकाना होगा साहूकारों का कर्ज
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार उनके हित में बड़ा कदम

 वैभव श्रीधर, राज्‍य ब्‍यूरो। किसानों के नाम पर किए जा रहे आंदोलन के बीच मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार उनके हित में बड़ा कदम उठाने जा रही है। इसके तहत छोटे और मझोले किसानों को गैर लाइसेंसी साहूकारों के ऋण से मुक्ति दिलाई जाएगी। इसके लिए मध्य प्रदेश ग्रामीण (सीमांत व छोटे किसान तथा भूमिहीन कृषि श्रमिक) ऋण विमुक्ति विधेयक विधानसभा के शीतकालीन या बजट सत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है। राजस्व विभाग ने इसका मसौदा तैयार कर विधि विभाग को भेज दिया है। इसे मंजूरी मिलने के बाद किसानों को वह ऋण नहीं चुकाना होगा, जो 15 अगस्त 2020 के पहले गैर लाइसेंसी साहूकारों से लिया गया होगा। इसमें भूमिहीन कृषि श्रमिकों को भी शामिल करना प्रस्तावित है। इससे पहले राज्य सरकार प्रदेश के 89 अनुसूचित विकासखंडों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए यह प्रविधान लागू कर चुकी है। 

राजस्व विभाग ने विधि विभाग को भेजा मसौदा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले कार्यकाल में किसानों को सूदखोरों के चंगुल से बचाने के लिए साहूकारी अधिनियम में संशोधन की प्रक्रिया शुरू की थी। संशोधन विधेयक राष्ट्रपति को मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन मामला टलता गया। इस दौरान सत्ता परिवर्तन हुआ और प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी प्रयास किए लेकिन सफलता नहीं मिली। एक बार फिर शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बने और राष्ट्रपति से साहूकारी अधिनियम के साथ-साथ अनुसूचित जनजाति ऋण विमुक्ति अधिनियम में संशोधन की अनुमति मिल गई। तभी मुख्यमंत्री ने कहा था कि छोटे और मझोले किसानों के लिए भी यही प्रविधान लागू किए जाएंगे। 

दरअसल, छोटे और मझोले किसान अपनी जरूरतों की पूर्ति के लिए स्थानीय स्तर पर गैर लाइसेंसी साहूकारों से ऋण लेते हैं। इसके एवज में उन्हें भारी-भरकम ब्याज चुकाना होता है। कई बार यह इतना हो जाता है कि कर्ज उतारने में बरसों लग जाते हैं। इसे देखते हुए ही 89 अनुसूचित क्षेत्रों के अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों के लिए प्रविधान किया गया कि उन्हें 15 अगस्त 2020 तक के ऐसे कर्ज को नहीं चुकाना होगा। 

दो साल की होगी सजा

राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक में भी ठीक वैसे ही प्रविधान रखे जा रहे हैं, जैसे अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए हैं। जबरदस्ती कर्ज की वसूली करने पर दो साल की सजा होगी और अर्थदंड भी लगेगा। गिरवी रखी चल या अचल संपत्ति वापस करनी होगा। हालांकि इसके लिए यानी कर्ज मुक्ति के लिए पुलिस से शिकायत करनी होगी। सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित विधेयक के मसौदे को कानूनी पक्षों का अध्ययन करने के लिए विधि विभाग भेजा गया है। मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुतिकरण के बाद इसे कैबिनेट में रखा जाएगा। यदि यह प्रक्रिया 28 दिसंबर के पहले पूरी हो जाती है तो इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ही प्रस्तुत किया जा सकता है अन्यथा यह फरवरी 2021 में प्रस्तावित बजट सत्र में रखा जाएगा। विधेयक पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा जाएगा। दरअसल, संवैधानिक प्रविधान के तहत वृत्ति (कारोबार) से जुड़ा मामला होने की वजह से राष्ट्रपति से अनुमति अनिवार्य होती है। 

67 फीसद किसान छोटे और मझोले

कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मध्य प्रदेश में 1.11 करोड़ खातेदार किसान हैं। इनमें 67 फीसद छोटे और मझोले (पांच एकड़ भूमि वाले) हैं।

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