संसद में भी गूंजी छोटे राज्यों की मांग

पृथक तेलंगाना के गठन को कांग्रेस कार्यसमिति की हरी झंडी के बाद छोटे राज्यों को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। तेलंगाना पर फैसले के बाद गोरखालैंड और बोडोलैंड के लिए आवाज तेज होने लगी है। भाजपा ने भी तेलंगाना के बाबत कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठा दिया है। भाजपा ने कहा कि यह फैसला अभी सिर्फ कांग्रेस ने किया है। इसके लिए सरकारी स्तर पर कोई तैयारी नहीं हुई है।

By Edited By: Publish:Mon, 05 Aug 2013 08:44 AM (IST) Updated:Tue, 06 Aug 2013 03:17 AM (IST)
संसद में भी गूंजी छोटे राज्यों की मांग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पृथक तेलंगाना के गठन को कांग्रेस कार्यसमिति की हरी झंडी के बाद छोटे राज्यों को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। तेलंगाना पर फैसले के बाद गोरखालैंड और बोडोलैंड के लिए आवाज तेज होने लगी है। भाजपा ने भी तेलंगाना के बाबत कांग्रेस की मंशा पर सवाल उठा दिया है। भाजपा ने कहा कि यह फैसला अभी सिर्फ कांग्रेस ने किया है। इसके लिए सरकारी स्तर पर कोई तैयारी नहीं हुई है।

गोजमुमो नेता गोरखालैंड गठन के लिए समर्थन जुटाने में लग गए हैं। दिल्ली मे उन्होंने विभिन्नि दलों के कई नेताओं से मुलाकात की। भाजपा को याद भी दिलाया कि उन्होंने पिछले घोषणापत्र में गोरखालैंड गठन का वादा किया था। संसद के अंदर दोनों सदनों में बोडोलैंड के लिए आवाज उठी और नारे लगे तो तेलंगाना के पक्ष व विरोध में भी आवाज बुलंद हुई। सदन के अंदर कांग्रेस के कुछ नेताओं ने आंध्र प्रदेश की भावना को देखते हुए सीमांध्र के लिए भी नारे लगाए।

तेदेपा के कुछ सदस्य टीआरएस नेता चंद्रशेखर राव के उस बयान पर आक्रामक दिखे, जिसमें उन्होंने सीमांध्र के लोगों को वापस जाने की बात कही थी। पार्टी के एक नेता तो इतने उग्र दिखे कि वह कांग्रेस नेताओं से भिड़ने को तैयार थे, जबकि अक्सर आक्रामक दिखने वाले खमम के तेदेपा नेता नमो नागेश्वर राव शांत दिखे। दरअसल, खमम तेलंगाना के क्षेत्र में जा रहा है।

दूसरी तरफ, तेलंगाना पर श्रेय लेने की चाह में भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और सरकार अभी तक एकमत नहीं हो पाई है। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि फैसले ने तेलंगाना और सींमांध्र के लोगों के बीच आपसी तनाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस ने घोषणा कर दी, लेकिन वित्तमंत्री पी. चिदंबरम का कहना है कि सरकार तेलंगाना गठन पर कैबिनेट नोट तैयार कर रही है। जाहिर है कि सरकार पूरी तरह तैयार नहीं है।

उन्होंने याद दिलाया कि चिदंबरम ने 2009 में ही तेलंगाना का वादा कर दिया था, लेकिन कुछ ही दिन में इससे मुकर गए थे और श्रीकृष्णा आयोग बनाकर इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था। पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने भी कांग्रेस और सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा ने तीन राज्यों के गठन के लिए वादा किया था, तो तत्काल उसे पूरा भी किया था, जबकि संप्रग में अब तक भ्रम है।

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