वकीलों ने CJI को लॉकडाउन के दौरान हो रही बाल दुर्व्यवहार के मामलों में वृद्धि पर संज्ञान लेने को कहा

कहा कि समय की जरूरत है कि बच्चों को हिंसा और दुर्व्यवहार से बचाने के लिए विभिन्न अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Sun, 12 Apr 2020 04:52 PM (IST) Updated:Sun, 12 Apr 2020 04:52 PM (IST)
वकीलों ने CJI को लॉकडाउन के दौरान हो रही बाल दुर्व्यवहार के मामलों में वृद्धि पर संज्ञान लेने को कहा
वकीलों ने CJI को लॉकडाउन के दौरान हो रही बाल दुर्व्यवहार के मामलों में वृद्धि पर संज्ञान लेने को कहा

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे को एक पत्र लिखा गया है जिसमें उनसे कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान बाल दुर्व्यवहार के मामलों की संख्या में वृद्धि पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। दो वकीलों, सुमीर सोढ़ी और आरजू अनेजा द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान हालांकि अपराध की कुल दर नीचे चली गई है, लेकिन बच्चों से दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाओं में तेजी आई है। कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान इन बच्चों के लिए खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि वे अपने घरों को छोड़ने में असमर्थ होते हैं।

पत्र में कहा गया कि भारत में बाल उत्पीड़न की घटनाएं पहले से ही लॉकडाउन के दौरान बढ़ चुकी हैं। अगर अब बाल शोषण के शिकार लोगों की सुरक्षा और समर्थन के लिए तुरंत कदम नहीं उठाए गए। तो और अधिक मामले सामने आ सकते हैं। न्यायालय से अनुरोध किया गया कि वह COVID-19 महामारी के मद्देनजर बच्चों के अधिकारों की रक्षा और उनकी सुरक्षा के मुद्दे पर संज्ञान लें।

कहा कि समय की जरूरत है कि बच्चों को हिंसा और दुर्व्यवहार से बचाने के लिए विभिन्न अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए जाएं। बाल शोषण महामारी के समय गैर-सरकारी संगठन / संगठन जो बाल कल्याण के क्षेत्र में काम करते हैं, उनके कार्य करने की जरूरत है। वकीलों ने कहा, पिछले कुछ दिनों में लॉकडाउन अवधि के दौरान , चाइल्डलाइन इंडिया हेल्पलाइन को 92,000 से अधिक कॉल प्राप्त हुए हैं, जिसमें बच्चों से दुर्व्यवहार से सुरक्षा की मांग की गई है। बताया गया कि 24 मार्च से 50 फीसद से ज्यादा कॉल में बढ़ोतरी हुई।

पत्र में आगे कहा गया है कि लॉकडाउन की इस अवधि के दौरान बच्चों को दुर्व्यवहार से बचाने के लिए सरकार द्वारा अब तक कोई अधिसूचना / दिशानिर्देश / सकारात्मक उपाय नहीं किए गए हैं और ऐसे बच्चे हैं जिन्हें देखभाल और ध्यान देने की आवश्यकता है।

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