पैंतालिस वर्ष के बाद भी पंजीकरण करा सकते हैं वकील

पैतालिस वर्ष की उम्र के बाद भी वकील के तौर पर पंजीकरण करा कर अदालत में मुवक्किलों की पैरोकारी की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने पैंतालिस वर्ष के बाद वकील के तौर पर पंजीकरण पर रोक लगाने की राज्य बार काउंसिलों की मांग ठुकरा दी है। कोर्ट ने विभिन्न

By manoj yadavEdited By: Publish:Tue, 11 Nov 2014 09:39 PM (IST) Updated:Tue, 11 Nov 2014 09:51 PM (IST)
पैंतालिस वर्ष के बाद भी पंजीकरण करा सकते हैं वकील

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पैतालिस वर्ष की उम्र के बाद भी वकील के तौर पर पंजीकरण करा कर अदालत में मुवक्किलों की पैरोकारी की जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने पैंतालिस वर्ष के बाद वकील के तौर पर पंजीकरण पर रोक लगाने की राज्य बार काउंसिलों की मांग ठुकरा दी है। कोर्ट ने विभिन्न उच्च न्यायालयों के आदेशों को सही ठहराते हुए पंजीकरण की आयुसीमा सीमित करने से मना कर दिया।

पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु की राज्य बार काउंसिलों ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल कर हाई कोर्ट के फैसलों को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने वकील के तौर पर पंजीकरण की आयु सीमा पैंतालिस वर्ष तक सीमित करने का राज्य बार काउंसिलों का नियम रद कर दिया था।

मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य बार काउंसिलों की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया है। मालूम हो कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के ऐसे ही नियम को सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में निरस्त कर दिया था। इसके बाद कुछ राज्य बार काउंसिलों ने अपने नियम जारी कर 45 वर्ष के बाद वकालत के लिए पंजीकरण कराने पर रोक लगा दी थी। नियमों को विभिन्न उच्च न्यायालयों में चुनौती दी गई और हाई कोर्ट ने नियम रद कर दिया जिसके बाद कई राज्य बार काउंसिल सुप्रीम कोर्ट आईं थीं।

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