जस्टिस गांगुली पर कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय सक्रिय

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पत्र राष्ट्रपति से मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस एके गांगुली के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्रिय हो गया है। इसके तहत जस्टिस गांगुली के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा एफआइआर दर्ज करने और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से उन्हें हट

By Edited By: Publish:Wed, 18 Dec 2013 09:02 AM (IST) Updated:Wed, 18 Dec 2013 09:07 AM (IST)
जस्टिस गांगुली पर कार्रवाई के लिए गृह मंत्रालय सक्रिय

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पत्र राष्ट्रपति से मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस एके गांगुली के खिलाफ कार्रवाई के लिए सक्रिय हो गया है। इसके तहत जस्टिस गांगुली के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा एफआइआर दर्ज करने और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से उन्हें हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के दोनों विकल्पों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। कानून मंत्रालय की हरी झंडी पर सुप्रीम कोर्ट को जस्टिस गांगुली के खिलाफ इंटर्न के आरोपों की नए सिरे से जांच के लिए प्रेसिडेंशियल रिफरेंस भेजा जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित जांच कमेटी के सामने दिए गए इंटर्न के बयान के सार्वजनिक होने के बाद दिल्ली पुलिस पर स्वत: एफआइआर दर्ज करने का दबाव बढ़ गया है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस आयुक्त बीएस बक्शी ने गृह सचिव अनिल गोस्वामी से मुलाकात की। मुलाकात के बाद बक्शी ने कहा कि पूरे मामले पर कानूनी सलाह ली जा रही है। दूसरी ओर, जस्टिस गांगुली को पद से हटाने के लिए राष्ट्रपति को भेजे गए ममता बनर्जी के दोनों पत्र मिलने के बाद गृह मंत्रालय का मानवाधिकार विभाग सक्रिय हो गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जस्टिस गांगुली को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए फिलहाल कानून मंत्रालय की राय ली जा रही है।

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दरअसल मानवाधिकार कानून के तहत आयोग के अध्यक्ष या सदस्य को केवल अपराध साबित होने पर ही राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय कमेटी की जांच में जस्टिस गांगुली को प्रथमदृष्टया यौन दु‌र्व्यवहार का दोषी पाया गया था। अब गृह मंत्रालय कैबिनेट के मार्फत सुप्रीम कोर्ट को प्रेसिडेंशियल रेफरेंस भेजने की तैयारी में है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को नई कमेटी बनाकर फिर पूरे मामले की जांच करानी होगी। नई कमेटी यदि उन्हें दु‌र्व्यवहार का दोषी पाती है, तो राष्ट्रपति उन्हें पदमुक्त कर सकते हैं।

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