डोभाल की प्लानिंग 'सर्जिकल स्ट्राइक': 18 सितंबर से 29 सितंबर तक की है कहानी, आत्मविश्वास से लबरेज जवानों ने दिया था अंजाम

Surgical Strike 2016 आज से छह साल पहले 2016 में 29 सितंबर को भारतीय जवानों ने देश के पहले सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। दरअसल उरी हमले के बाद से ही भारतीय सेना को चैन नहीं था और यह बदला लेने का मौका तलाश रही थी।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 29 Sep 2022 12:33 PM (IST) Updated:Thu, 29 Sep 2022 12:33 PM (IST)
डोभाल की प्लानिंग 'सर्जिकल स्ट्राइक': 18 सितंबर से 29 सितंबर तक की है कहानी, आत्मविश्वास से लबरेज जवानों ने दिया था अंजाम
'सर्जिकल स्ट्राइक' 18 सितंबर से 29 सितंबर तक की है कहानी

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। Surgical Strike 2016: साल 2016 का सितंबर माह... 18 सितंबर को आतंकी हमले में जम्मू के उरी में तैनात 18 जवान बलिदान हो गए थे। इसके बाद से ही भारत की सेना को चैन नहीं मिल रहा था और इसका नतीजा मात्र 11 दिनों में भारत के पहले 'सर्जिकल स्ट्राइक' के तौर पर देखने को मिला। इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और NSA अजित डोभाल से आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग और DGMO लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने बात की। इन्होंने मिलकर पाकिस्तान को करारा जवाब देने के सभी आप्शन पर विचार किए और तब कहीं जाकर प्लानिंग हुई इस मिशन की। 

चार घंटों तक चले इस मिशन में भारत के 150 कमांडो ने आतंकियों का काम तमाम कर दिया था। सरकार का संकेत पाते ही उरी हमले के लिए पाकिस्तान से बदले की बाट जोह रहे भारतीय सेना एक्टिव हो गई। उरी हमले के बाद 11 दिनों में ही जवानों ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों का सफाया कर दिया। साल 2016 के 28-29 सितंबर की दरमियानी रात को भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पर मौजूद सभी आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था। इस बात की जानकारी तत्कालीन DGMO लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह (Lt General Ranbir Singh) ने दी। 29 सितंबर को उन्होंने इस बात का सार्वजनिक तौर पर एलान किया कि भारत ने नियंत्रण रेखा पर बने आतंकी लान्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक किया, जिसमें सभी आतंकियों व उनके ठिकानों को नेस्तनाबूद करने में सफलता मिली।

मिशन पर गए थे 25 कमांडो

सर्जिकल स्ट्राइक के मिशन में 25 कमांडो शामिल थे। उन्हें अतिरिक्त सहायता देने के लिए नियंत्रण रेखा पर 150 कमांडो मौजूद थे। मिशन पर जवानों को भेजने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, दिवंगत रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर, आर्मी चीफ दलबीर सिंह सुहाग, डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह और उत्तरी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल दीपेंद्र सिंह हुड्डा की दिल की धड़कनें तेज थीं, सभी हर पल के अपडेट का मानिटरिंग कर रहे थे। साथ ही इस मिशन को पूरा कर सेना के जवानों की सकुशल वापसी की कामना कर रहे थे।

चार आतंकियों ने उरी में किया था हमला

18 सितंबर 2016 को जम्मू के उरी में भारतीय सेना की 12वीं ब्रिगेड के प्रशासनिक स्टेशन पर जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकियों ने हमला किया था। इस हमले में भारत के 18 जवान बलिदान हो गए थे। हालांकि, सेना ने आतंकियों पर फायरिंग की थी, जिसमें सभी आतंकी ढेर हो गए थे। इनके पास से मिले हथियारों में एक GPS सेट भी था जिससे पता चला कि इनका लिंक पाकिस्तान से है।

जानें क्या होता है सर्जिकल स्ट्राइक का मतलब

सर्जिकल स्ट्राइक के तहत निश्चित लक्ष्य पर हमला किया जाता है और उसे पूरी तरह खत्म करना ही असल मकसद होता है। साथ ही सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देने के दौरान यह ध्यान रखा जाता है कि निश्चित लक्ष्य के अलावा अन्य किसी को नुकसान न हो।

भारत के दावे से पाकिस्तान ने किया था इनकार

पाकिस्तान को भारत की इस प्रतिक्रिया की जरा भी उम्मीद नहीं थी। सर्जिकल स्ट्राइक से दंग पाकिस्तान ने 30 सितंबर 2016 को भारत के इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि नियंत्रण रेखा पर मौजूद आतंकियों व उनके ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया गया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था, 'भारतीय सेना ने बीती रात LoC पर छिटपुट फायरिंग की। यदि भारत ऐसा दोबारा करने की कोशिश करता है तो हम इसका जवाब देंगे। वह बस अपनी मीडिया और देश की जनता को खुश करने के लिए ये सब कर रहा है।'

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