Jammu Kashmir: स्वतंत्रता दिवस से पूर्व उड़ी दोहराने का बड़ा षड्यंत्र विफल, दो आत्मघाती ढेर, सूबेदार समेत चार सैनिक हुए बलिदान
आतंकियों ने जिस तरह 18 सितंबर 2016 को उड़ी में सेना के शिविर में दाखिल होकर आत्मघाती हमला करके 19 जवानों को बलिदान कर दिया था ठीक उसी तरह से आतंकियों ने दरहाल तहसील से दस किलोमीटर दूर परगल क्षेत्र में सेना की कंपनी पोस्ट को अपना निशाना बनाया।
राजौरी, जागरण संवाददाता। स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले जम्मू-कश्मीर के राजौरी में पाकिस्तान परस्त आतंकियों के सैन्य शिविर पर उड़ी जैसा आत्मघाती हमला दोहराने की कोशिश की, जिसे सेना के सतर्क जवानों ने विफल कर दिया। इस कार्रवाई में सेना के सूबेदार सहित चार जवान बलिदान हो गए जबकि दो पाक परस्त आतंकी ढेर हो गए। मारे गए आतंकियों से भारी मात्रा में हथियार व 17 हजार पांच सौ रुपए भारतीय मुद्रा भी बरामद हुई है। यह आतंकी पिछले तीन दिनों से दरहाल के क्षेत्र में मौजूद थे और इन्हें ढेर करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान भी सेना व पुलिस द्वारा चलाया जा रहा था, लेकिन इसके बावजूद भी इन दोनों आत्मघाती दस्ते के आतंकियों ने सेना की कंपनी पोस्ट पर हमला कर दिया।
जानकारी के अनुसार आतंकियों ने जिस तरह 18 सितंबर 2016 को उड़ी में सेना के शिविर में दाखिल होकर आत्मघाती हमला करके 19 जवानों को बलिदान कर दिया था ठीक उसी तरह से आतंकियों ने राजौरी जिले के दरहाल तहसील से दस किलोमीटर दूर परगल क्षेत्र में सेना की कंपनी पोस्ट को अपना निशाना बनाया। बुधवार की रात दो बजकर दस मिनट पर आत्मघाती आतंकियों ने पहले संतरी पोस्ट को ग्रेनेड दागा और गोलियों की बौछार शुरू कर दी। जबकि अन्य जवान अपनी पोजिशन लेते तब तक दोनों आतंकी शिविर में दाखिल हो गए। आतंकी उस क्षेत्र की तरफ बढ़ रहे थे यहां पर अधिकतर जवान मौजूद थे, लेकिन उससे पहले ही सेना के अधिकारियों व जवानों ने आतंकियों को घेर लिया। इस कार्रवाई में सेना के मेजर सहित छह जवान घायल हो गए, लेकिन दोनों तरफ से गोलीबारी जारी रही।
वीरवार सुबह छह बजे के करीब दोनों आत्मघाती दस्ते के आतंकियों को ढेर कर दिया गया। जिसके बाद गोलीबारी बंद हुई सभी घायलों को सेना के 150 जनरल अस्पताल में पहुंचाया यहां पर सूबेदार सहित तीन जवान बलिदान हो गए जबकि मेजर व अन्य दो जवानों का उपचार चल रहा है। बलिदान हुए जवानों की पहचान सूबेदार राजेंद्र प्रसाद निवासी राजस्थान के झुंझुनू जिले के मालिगोवेन गांव , राइफलमैन लक्ष्मणन डी निवासी तमिलनाडु के मदुरै जिले के टी पुडुपट्टी गांव और राइफलमैन मनोज कुमार निवासी हरियाणा के फरीदाबाद के शाहजहांपुर गांव, राइफलमैन निशांत मलिक निवासी हिसार। चारों जवानाें के पार्थिव शरीरों का पोस्टमार्टम करवाने के बाद संबंधित यूनिट के अधिकारियों के हवाले कर दिया गया है।
यहां पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद इन्हें इनके घरों की तरफ रवाना किया जाएगा। वहीं मारे गए आतंकियों के कब्जे से दो एके 47 राइफलें, 9 मैगजीन, तीन सौ गोलियां, पांच ग्रेनेड, 17 हजार पांच सौ रुपए भारतीय मुद्रा के साथ साथ काफी खाने पीने का सामान भी बरामद किया गया है। सेना के जवानों के जवानों ने पूरे क्षेत्र को घेर कर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है जो लगातार जारी है। इस संबंध में एसएसपी राजौरी मुहम्मद असलम का कहना है कि सेना के जवानों ने आत्मघाती हमले को विफल कर दिया। उन्होंने कहा कि मारे गए दोनों आतंकी विदेशी है और यह किस संगठन के थे और कहा के रहने वाले है इस पर कार्रवाई की जा रही है।
तीन दिन से दरहाल में आतंकियों के होने की थी सूचना : सूत्रों के अनुसार, मारे गए आतंकियों के पिछले तीन दिन से राजौरी के दरहाल क्षेत्र में देखे जाने की सूचना मिली थी, जिसके बाद इन्हें मार गिराने के लिए सेना व पुलिस की ओर से बड़े पैमाने पर अभियान भी चलाया जा रहा था, लेकिन ये हत्थे नहीं चढ़ रहे थे और इन्होंने रात को हमला कर दिया।
मारे गए दोनों आतंकी विदेशी : राजौरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) मुहम्मद असलम ने कहा कि सेना के जवानों ने आत्मघाती हमले को विफल कर दिया है। मारे गए दोनों आतंकी विदेशी हैं और यह किस संगठन के थे और कहां के रहने वाले हैं, इसकी जांच की जा रही है।
बलिदानियों की पहचान :
1. सूबेदार राजेंद्र प्रसाद निवासी मालिगोवेन, जिला झुंझुनू, राजस्थान
2. राइफलमैन लक्ष्मणन डी निवासी टी पुडुपट्टी, जिला मदुरै, तमिलनाडु
3. राइफलमैन मनोज कुमार निवासी शाहजहांपुर, जिला फरीदाबाद, हरियाणा
4. राइफलमैन निशांत मलिक, निवासी आदर्श नगर, जिला हिसार, हरियाणा
आतंकियों से बरामद हथियार :
-दो एके 47 राइफल
-9 मैगजीन
-300 गोलियां
-पांच ग्रेनेड
-17,500 रुपये की भारतीय मुद्रा
-खाने पीने का काफी सामान
बुलेटप्रूफ जैकेट को भेदने वाली गोलियां बरामद
मारे गए दोनों आतंकियों ने बरामद हथियारों में कुछ ऐसी गोलियां भी मिली है जो बुलेटप्रूफ जैकेट को भी भेद सकती थी। जिन्हें स्टिल बुलेट कहा जाता है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि आत्मघाती दस्ते के आतंकी सेना को भारी नुकसान पहुंचाने के इरादे से सेना की कंपनी पोस्ट में दाखिल हुए थे, अगर इन आतंकियों को समय पर ढेर न किया गया होता तो नुकसान काफी अधिक हो सकता था।
18 सितंबर 2016 को उड़ी में हुआ था इसी तरह का हमला, 19 जवान हुए थे बलिदान
उड़ी में 18 सितंबर 2016 को आत्मघाती आतंकियों ने इसी तरह से हमले को अंजाम दिया था, जिस तरह से स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले राजौरी के परगल क्षेत्र में देना का प्रयास किया गया। उड़ी हमले के बाद भारतीय सेना के जवानों ने 28 सितंबर को सीमा पार करके गुलाम कश्मीर में चल रहे कई आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर दिया था।