US President Election 2020: कई मुश्किल हालातों से जूझकर बाइडन ने पाई राष्‍ट्रपति पद की मंज‍िल

दो बार राष्‍ट्रपति चुनाव में हार का मुंह देखने के बाद आखिरकार बाइडन को इस बार धमाकेदार जीत हासिल हुई है। इस बार अमेरिका को पहली महिला (भारतीय मूल की) उपराष्‍ट्रपति कमला हैरिस मिलने वाली है। ये अपने आप में बेहद खास है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Sun, 08 Nov 2020 08:21 AM (IST) Updated:Sun, 08 Nov 2020 02:03 PM (IST)
US President Election 2020: कई मुश्किल हालातों से जूझकर बाइडन ने पाई राष्‍ट्रपति पद की मंज‍िल
मुश्किलों से पार पाकर राष्‍ट्रपति के पद तक पहुंचे हैं बाइडन

नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्‍याशी जो बाइडन अब अब अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्‍ट्रपति तय हो गए हैं। उन्‍होंने बड़े अंतर के साथ रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्‍याशी डोनाल्‍ड ट्रंप को शिकस्‍त दी है। बाइडन ने ये मुकाम तीसरी बार में जाकर हासिल किया है। इससे पहले दो बार (1988 और 2008 में) उन्‍होंने राष्‍ट्रपति चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। 1984 के राष्‍ट्रपति चुनाव में भी उन्‍होंने अपनी किस्‍मत आजमाने की कोशिश की थी लेकिन उस वक्‍त उन्‍होंने अपने कागजात जमा नहीं किए थे। इसके अलावा 2015 में भी वो खुद ही राष्‍ट्रपति चुनाव की रेस से बाहर हो गए थे। आपको बता दें कि बाइडन महज 29 वर्ष की उम्र में सीनेट के लिए चुने गए थे। बतौर सीनेटर बाइडेन छह बार सीनेट के लिए चुने गए। वो देश के पांचवें सबसे कम उम्र के सीनेटर थे। अब 48 वर्ष के बाद वो देश के राष्‍ट्रपति बनेंगे। बाइडन का सियासी सफर काफी दिलचस्‍प रहा है। वो देश के उप राष्‍ट्रपति रहे हैं। उन्‍होंने कई मौकों और मुश्किल घड़ी में अपने अनुभव का इस्‍तेमाल किया है।

इस बार का राष्‍ट्रपति चुनाव कई मायनों में ऐतिहासिक रहा है। अमेरिका के 120 वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी प्रत्‍याशी को इतने अधिक वोट हासिल हुए हों। अमेरिका के इतिहास में पहली बार देश को एक महिला उपराष्‍ट्रपति मिलने वाली है। वहां बसे भारतीय मूल के लोगों के लिए ये पल वास्‍तव में गौरवांवित करने वाला है। 

आपको बता दें कि अमेरिका में ये चुनाव ऐसे समय में हुआ था जब वहां पर लगातार कोविड-19 के मामले एक लाख को भी पार कर चुके हैं। आपको बता दें कि जो बाइडन ने एक संस्‍मरण ‘प्रॉमिसेज टू कीप’में लिखा है कि उन्‍हें अपने दादा से राजनीति का ककहरा सीखा था। डेलावेयर उनकी कर्मभूमि बना और यहां से ही उन्‍होंने राजनीति की सीढि़या चढ़नी शुरू की। बाइडन के भारत से संबंधों की बात करें तो उनहोंने दोनों देशों के बीच हुई परमाणु संधि में एक अहम भूमिका निभाई थी। वो भारत को अमेरिका का एक स्‍वाभाविक साझेदार भी बता चुके हैं। उनका कहना है कि भारत उनकी जरूरत है।

गौरतलब है कि बाइडन ने भले ही जीत हासिल कर ली है लेकिन उनकी इस जीत और उनके निर्वाचित होने का एलान 6 जनवरी 2021 को किया जाएगा। इसका एलान उप-राष्‍ट्रपति माइक पेंस करेंगे। 20 जनवरी को वो औपचारिक रूप से व्‍हाइट हाउस से सत्‍ता संभाल लेंगे। बाइडन को मिली इस धमाकेदार जीत के बाद उनका ट्विटर प्रोफाइल भी बदल गया है। अब इस पर निर्वाचित राष्‍ट्रपति लिखा गया है। उनको इस चुनाव में 270 से अधिक इलेक्‍टोरल कॉलेज के वोट हासिल हुए हैं। हालांकि मौजूदा राष्‍ट्रपति ट्रंप ने इस चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है।

जहां तक उनकी पर्सनल लाइफ का सवाल है तो वो काफी उतार-चढ़ाव वाली रही है। 1972 में जब वो पहली बार सीनेटर चुने गए तभी एक सड़क हादसे में उनकी पत्‍नी और नवजात बेटी की मौत हो गई थी और एक बेटा बुरी तरह से घायल हो गया था। वर्ष 2015 में उनके बेटे का भी देहांत हो गया था। जब ये हादसा हुआ उस वक्‍त बाइडन अमेरिका के उप-राष्‍ट्रपति थे। 1988 में बाइडन को लकवा मार गया जिससे पार पाने के लिए उन्‍हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। इसी दौरान हुए चुनाव में वो साहित्‍य चोरी के एक मामले में ऐसे घिरे कि उन्‍हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। नशीला पदार्थ लेने की वजह से उनके एक बेटे को नौसेना की नौकरी से निकाल दिया गया था।

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