जम्मू-कश्मीर में नौसेना के कमांडो भी बचाव में जुटे

बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर में फंसे लोगों के बचाव के लिए सोमवार को नेवी के कमांडों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। नौसेना ने दिल्ली, मुंबई व विशाखापटनम में भी अपनी डाइविंग टीमों को राज्य में भेजने के लिए अलर्ट पर रखा है। इसके साथ सेना की इंजीनिय¨रग व मेडिकल टीमें भी प्रभावित इलाकों में सक्रिय हैं। दिल्ली से इंजीनियंरिग टास्क फोर्स भी राज्य भेजी गई है। नौसेना के कमांडो ने अपने अभियान के पहले दिन ही सोमवार को 200 लोगों को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से निकाला है।

By Edited By: Publish:Mon, 08 Sep 2014 04:06 PM (IST) Updated:Tue, 09 Sep 2014 08:52 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर में नौसेना के कमांडो भी बचाव में जुटे

जागरण ब्यूरो, जम्मू। बाढ़ प्रभावित जम्मू-कश्मीर में फंसे लोगों के बचाव के लिए सोमवार को नेवी के कमांडों ने भी मोर्चा संभाल लिया है। नौसेना ने दिल्ली, मुंबई व विशाखापटनम में भी अपनी डाइविंग टीमों को राज्य में भेजने के लिए अलर्ट पर रखा है। इसके साथ सेना की इंजीनिय¨रग व मेडिकल टीमें भी प्रभावित इलाकों में सक्रिय हैं। दिल्ली से इंजीनियंरिग टास्क फोर्स भी राज्य भेजी गई है। नौसेना के कमांडो ने अपने अभियान के पहले दिन ही सोमवार को 200 लोगों को बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों से निकाला है।

राज्य में अभी भी जल प्रलय जैसी स्थिति रही। कश्मीर के अधिकतर भाग पानी में डूबे हुए हैं। बाढ़ में फंसे सैकड़ों लोग मदद के इंतजार में हैं और हजारों अभी भी लापता। सड़क मार्ग से पांच दिन से कट चुके कश्मीर में बिजली, पानी और संचार सेवा पूरी तरह ठप रहने से लोगों का अपनों से कोई संपर्क नहीं हो पा रहा है। राज्य प्रशासन, थल व वायु सेना के साथ-साथ एनडीआरएफ भी राहत कार्य में जुटे हैं। लोगों को बचाने के साथ प्रभावित क्षेत्रों में खाने के पैकेट व दवाइयां फेंकी जा रही हैं।

वहीं, जम्मू संभाग में स्थिति कुछ संभली जरूर है, लेकिन दोपहर बाद राजौरी, पुंछ, ऊधमपुर, कटड़ा और रियासी जिलों में फिर से भारी बारिश शुरू हो जाने से लोग सहम गए हैं। संभाग के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बारिश के बीच राहत अभियान जारी रहा। अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहां मदद नहीं पहुंच पाई है। वहीं ऊधमपुर के पंचैरी में पहाड़ धंसने से मलबे में दबे दसल गांव में दो और शव बरामद किए गए। यहां करीब 37 लोगों के दबकर मरने की आशंका है। राजौरी जिले के कालाकोट में भी भूस्खलन से एक व्यक्ति की मौत हो गई। पूरे राज्य में नदी-नालों से शवों का मिलना जारी है। बाढ़ और भूस्खलन में अब तक 220 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। कश्मीर में बाढ़ का आलम यह है कि सड़कें, गलियां, बाजार सबकुछ पानी में तैर रहा है। हजारों लोग अपने घरों की दूसरी और तीसरी मंजिल पर शरण लिए हुए हैं।

इन लोगों को निकालने के लिए सेना और नेशनल डिजास्टर रेस्पांस फोर्स ने अपना अभियान जारी रखा है। पीआरओ डिफेंस जम्मू ले. कर्नल मनीष मेहता ने बताया कि सेना बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को बचाने में लगी हुई है। कश्मीर में 80 गांवों के लोगों को खाने के पैकेट, दवाइयां व अन्य सहायता दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि सेना रात को भी अपना अभियान जारी रखेगी। वहीं कश्मीर में नेवी कमांडों ने भी बचाव कार्य शुरू कर दिया है। कश्मीर में सबसे अधिक समस्या सभी मोबाइल सेवाओं के ठप होने से आ रही है। इस कारण प्रशासन को भी सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।

आपरेशन मेघ राहत पूरी शिद्दत से जारी:

आपरेशन मेघ राहत के तहत सेना अब तक 25 हजार लोगों को प्रभावित इलाकों से सुरक्षित निकाल चुकी है। वायुसेना के बड़े विमान प्रभावित इलाकों में लोगों तक जरूरी सामान पहुंचाने में जुटे हैं। जारी अभियान के तहत 83 टन इमरजेंसी राशन, 3000 कंबल, 45000 लीटर पीने का पानी, एक हजार लाइफ जैकेट व 220 टैंट चंडीगढ़, पठानकोट व कानपुर से एयरलिफ्ट किए जा रहे हैं।

अंतिम व्यक्ति को निकाल लेने तक सेना बैरेक में नहीं लौटेगी: सुहाग

उधर राजधानी में सेनाध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग ने आज कहा कि सेना अपना बचाव व राहत कार्य जारी रखेगी। सेना तब तक अपनी बैरेक में वापस नहीं लौटेगी जब तक कि बाढ़ में फंसे अंतिम व्यक्ति को सुरक्षित निकाल नहीं लिया जाता है। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर में सेना के 200 कालम लगाए गए हैं जिनमें हर एक में 75 से लेकर 100 तक जवान होते हैं। इन लोगों ने अब तक करीब 25 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला है।

वैष्णो देवी यात्रा फिर रोकी गई:

चार दिन बाद सोमवार को माता वैष्णो देवी की यात्रा शुरू तो हुई, लेकिन मौसम फिर बिगड़ जाने से यात्रा को दोपहर बाद स्थगित कर दिया गया। सुबह भवन की ओर रवाना किए गए 25 हजार श्रद्धालुओं में से पांच हजार को पहले पड़ाव दर्शनी ड्योढ़ी से लौटा दिया गया, जबकि आगे बढ़ चुके करीब 20 हजार यात्रियों को चरण पादुका, आद्कुंवारी, सांझीछत सहित अन्य स्थानों पर रोक दिया गया है। रोके जाने से पूर्व जो श्रद्धालु आगे बढ़ गए थे उन्होंने दर्शन किए।

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