पीएम मोदी ने देखा वादी में बर्बादी का मंजर, राष्ट्रीय आपदा घोषित
जम्मू-कश्मीर में पिछले चार दिनों तक कहर बरपाने के बाद पांचवें दिन रविवार को मौसम में थोड़ा सुधार तो हुआ, लेकिन तबाही का मंजर बरकरार रहा। बीते 60 सालों में पहली बार राज्य में आई भीषण बाढ़ में अब तक 220 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां तबाही का सैलाब देखा। उन्होंने इसे राष्ट्रीय स्तर की आपदा बताते हुए राहत और बचाव कार्यो के लिए 1000 करोड़ रुपये और दिए। साथ ही प्रधानमंत्री
जागरण न्यूज नेटवर्क, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में पिछले चार दिनों तक कहर बरपाने के बाद पांचवें दिन रविवार को मौसम में थोड़ा सुधार तो हुआ, लेकिन तबाही का मंजर बरकरार रहा। बीते 60 सालों में पहली बार राज्य में आई भीषण बाढ़ में अब तक 220 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यहां तबाही का सैलाब देखा। उन्होंने इसे राष्ट्रीय स्तर की आपदा बताते हुए राहत और बचाव कार्यो के लिए 1000 करोड़ रुपये और दिए। साथ ही प्रधानमंत्री राहत कोष से एक लाख कंबल खरीदकर प्रभावितों में बांटने का एलान भी किया। अब तक करीब 13 हजार लोग सुरक्षित बचाए जा चुके हैं। भारत-पाकिस्तान सीमांत इलाके से सेना और बीएसएफ के 180 जवानों को भी एयरलिफ्ट कर बाहर निकाला गया।
दूसरी ओर, जम्मू संभाग के ऊधमपुर में पहाड़ धंसने से करीब 37 लोगों के मरने की आशंका है। पूरे जम्मू संभाग में कुल 50 लोगों की मौत हुई। एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं। कश्मीर में भी बाढ़ से हालात गंभीर बने हुए हैं। बिजली-पानी के साथ संचार सुविधा पूरी तरह ठप रहने से घाटी में संपर्क नहीं हो पा रहा है। श्रीनगर में लाल चौक, मिलिट्री बेस, सचिवालय, हाई कोर्ट और अस्पताल सभी पानी में डूबे पड़े हैं। थलसेना अध्यक्ष दलबीर सिंह सुहाग ने भी अखनूर के सीमावर्ती बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौर का सेना की ओर से चलाए जा रहे राहत अभियान का जायजा लिया। करीब 15 हजार जवान बाढ़ पीड़ितों की मदद में जुटे हैं।
प्रभावित इलाकों का हवाई निरीक्षण करने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राज्य में जिस प्रकार से बाढ़ ने कहर बरपाया है, यह किसी राष्ट्रीय आपदा से कम नहीं है। जम्मू-कश्मीर सरकार को राहत व बचाव कार्यो के लिए 1100 करोड़ पहले ही दिए जा चुके हैं। उधर, ऊधमपुर के चढ़ई मुत्तल में भी एक मकान गिरने से छह लोगों की मौत हो गई। रियासी जिले में भूस्खलन से एक व्यक्ति की जान चली गई। इसके अलावा जम्मू के अलग-अलग क्षेत्रों से चार शव बरामद हुए। कश्मीर में भी कई लोग बाढ़ से लापता हो गए हैं। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया, लेकिन अभी कई लोग अपने घरों में ही फंसे हुए हैं। जम्मू के कई इलाकों में बिजली, पानी की सप्लाई ठप पड़ी हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, तबाही में अब तक सिर्फ सौ लोगों की ही मौत हुई है।
हाईवे पर फंसे तीन हजार वाहन:
जम्मू-श्रीनगर हाईवे के लगातार चौथे दिन भी बंद रहने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। हाईवे पर विभिन्न स्थानों पर करीब तीन हजार छोटे-बड़े वाहन फंसे हुए हैं। चार दिन से घाटी में खाद्य सप्लाई ठप पड़ी हुई है। उधर, बाढ़ से भारत-पाकिस्तान के बीच जारी व्यापार भी हाशिए पर आ गया है। बाढ़ के कारण पुंछ व उड़ी में कई पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे दोनों तरफ में संपर्क टूट गया है।
नहीं शुरू हुई वैष्णो देवी की यात्रा:
मौसम साफ होने के बावजूद मां वैष्णो देवी की यात्रा चौथे दिन भी स्थगित रही। मां के भवन जाने वाले नए व पुराने मार्ग सहित भैरो घाटी मार्ग पर जगह-जगह हुए भूस्खलन से गिरे मलबे को अभी तक हटाया नहीं जा सका है। यात्रा के इतिहास में पहली बार ऐसा मौका आया है कि जब खराब मौसम के चलते श्रद्धालु लगातार चार दिन मां के दर्शन नहीं कर पाए।
कोई ट्रेन भी नहीं चली :
मलबा आने और नीचे मिट्टी खिसकने की वजह से दूसरे दिन भी जम्मू-ऊधमपुर-रेल सेक्शन पर यातायात ठप रहा। जम्मू से कटड़ा रेलवे ट्रैक पर पानी भरने से रामनगर स्टेशन पर फंसी श्री शक्ति एक्सप्रेस ट्रेन के सभी यात्रियों को सुबह सड़क मार्ग से जम्मू के लिए रवाना किया गया।
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