आरुषि हत्याकांड ही नहीं, ये आत्महत्या और मर्डर भी आज तक बने हुए हैं रहस्य

आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपती बरी हो गए हैं। ऐसे ही कई और हत्याकांड हैं जिनसे देश में सनसनी फैली। कुछ की गुत्थी अब भी अनसुलझी है और कुछ की गुत्थी लंबी मशक्कत के बाद सुलझा ली गई।

By Digpal SinghEdited By: Publish:Fri, 13 Oct 2017 11:16 AM (IST) Updated:Fri, 13 Oct 2017 12:42 PM (IST)
आरुषि हत्याकांड ही नहीं, ये आत्महत्या और मर्डर भी आज तक बने हुए हैं रहस्य
आरुषि हत्याकांड ही नहीं, ये आत्महत्या और मर्डर भी आज तक बने हुए हैं रहस्य

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। आरुषि हत्याकांड में गुरुवार को तलवार दंपती को बरी कर दिया गया। इसके बाद यह सवाल फिर जीवित हो गया है कि आखिर आरुषि को किसने मारा? 2008 में हुआ यह हत्याकांड देश में काफी चर्चित रहा है। ऐसे ही कई और हत्याकांड हैं जिनसे देश में सनसनी फैली। कुछ की गुत्थी अभी भी अनसुलझी है और कुछ की गुत्थी लंबी मशक्कत के बाद सुलझा ली गई। पेश है एक नजर:

सुनंदा पुष्कर हत्याकांड

सुनंदा भारतीय उद्यमी और कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी थीं। 17 जनवरी, 2014 को उनका शव दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित होटल के कमरे में मिला था। एम्स के डॉक्टरों द्वारा ऑटोप्सी की रिपोर्ट में उनकी मौत ड्रग के ओवरडोज से बताई गई। एक जुलाई, 2014 को एम्स के डॉक्टर सुधीर गुप्ता ने दावा किया कि उनपर झूठी रिपोर्ट बनाने के लिए दबाव था। मेडिकल टीम ने दस अक्टूबर, 2014 को उन्हें जहर दिए जाने की बात कही। छह जनवरी को दिल्ली पुलिस ने सुनंदा की हत्या की एफआइआर दर्ज की। जांच जारी है।

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शीना बोरा हत्याकांड

24 अप्रैल, 2012 को मुंबई की रहने वाली 25 वर्षीय शीना बोरा लापता हुई। तीन साल बाद अगस्त, 2015 को मुंबई पुलिस ने उसकी हत्या के आरोप में उसकी मां इंद्राणी मुखर्जी, सौतेले पिता संजीव खन्ना और ड्राइवर श्यामवर को गिरफ्तार किया। नवंबर में इंद्राणी के दूसरे सौतेले पति पीटर मुखर्जी को गिरफ्तार किया गया। मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। 

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सैयद मोदी हत्याकांड

जुलाई, 1988 की घटना है। आठ बार राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन रह चुके सैयद मोदी की लखनऊ में 28 जुलाई, 1988 को हत्या कर दी गई। अपने खेल नायक को इस तरह खोने के बाद पूरा देश हिल उठा। बाद में साजिश की परतें जैसे-जैसे खुलने लगीं, सबकुछ साफ होता गया। मामले में उनकी पत्नी अमिता मोदी और उस समय राजनीति में रसूख रखने वाले संजय सिंह का नाम सामने आया। सीबीआइ ने जांच शुरू की और अमिता, संजय सिंह और राजनेता अखिलेश सिंह के खिलाफ साजिश रचने के आरोप के साथ चार्जशीट दाखिल हुई। हत्याकांड को अंजाम देने में अखिलेश के चार गुर्गों का नाम आया। बाद में अदालत से अमिता, संजय और अखिलेश बरी हो गए। 2009 में अखिलेश के चार गुर्गों में से एक भगवती सिंह सैयद मोदी की हत्या का दोषी पाया गया, लेकिन हत्या की वजह स्पष्ट नहीं हो सकी।

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जिया खान - हत्या या मर्डर

जिया खान एक ब्रिटिश-अमेरिकन एक्ट्रेस थी और उसने बॉलीवुड में अपने अभियन की शुरुआत की। लेकिन 3 जून 2013 को जब जिया खान की मौत की खबर आयी तो हर कोई सन्न रह गया। जिया ने साल 2007 में रामगोपाल वर्मा की फिल्म 'निशब्द' से बॉलीवुड में एंट्री की और इस फिल्म में उनके साथ अमिताभ बच्चन थे। बाद में जिया ने फिल्म गजनी और हाउसफुल में भी काम किया। मुंबई में जुहू स्थित सागर संगीत बिल्डिंग में अपने कमरे में जिया पंखे से लटकी हुई पायी गई। शुरू में इसे आत्महत्या माना गया, लेकिन बाद में जिया की मां ने उसके ब्वॉय फ्रेंड रहे सूरज पंचोली पर हत्या का आरोप लगाया। इस मामले की सीबीआई जांच अब भी जारी है।

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बालिक बधु की आत्महत्या

1 अप्रैल 2016 को प्रत्यूषा बनर्जी यानी टीवी की प्यारी बालिका बधु की मौत की खबर जैसे ही आयी हर कोई हैरत में पड़ गया। प्रत्यूषा अपने अपार्टमेंट में मृत पायी गई। प्रत्यूषा की मौत को आज भी आत्महत्या ही माना जाता है। हालांकि उसके ब्वॉय फ्रेंड राहुल राज पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप भी है। प्रत्यूषा के अंतिम कॉल में जिस तरह की बातों का खुलासा हुआ है, उससे भी शक की सुई राहुल राज की तरफ घूमी। राहुल को गिरफ्तार भी किया गया, बाद में उसे जमानत मिल गई।

रिजवान-उर-रहमान 

रिजवान-उर-रहमान नाम का युवक 21 सितंबर 2007 को कोलकाता में एक रेलवे ट्रैक के पास मृत मिला। हत्या से कुछ ही दिन पहले उसने लक्ष होजिरी ग्रुप के मालिक उद्योगपति ओशोक तोदी की बेटी प्रियंका से शादी की थी। रिजवान और प्रियंका ने अपने माता-पिता को इस शादी के बारे में नहीं बताया था, उन्हें डर था कि उनके इस रिश्ते को स्वीकार नहीं किया जाएगा। एक दोस्त की सलाह पर दोनों ने पुलिस कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर अपने लिए सुरक्षा मांगी थी। इस मामले में आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि रिजवान ने आत्महत्या की थी या उसकी हत्या की गई थी।

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सुलझ तो गए, लेकिन इन हत्याकांडों ने भी देश को हिलाकर रख दिया था

जेसिका लाल हत्याकांड

29 अप्रैल, 1999 को पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे मनु शर्मा ने दक्षिणी दिल्ली के रेस्तरां में 34 वर्षीय मॉडल जेसिका लाल की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जेसिका द्वारा मनु को शराब परोसने से मना करना, हत्या की वजह थी। पकड़े जाने के बाद 21 फरवरी, 2006 को मनु शर्मा कोर्ट से बरी हो गया। लेकिन देश में हुए विरोध-प्रदर्शन के बाद केस की सुनवाई दोबारा दिल्ली हाईकोर्ट में हुई। 20 जनवरी, 2006 को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

विद्या जैन हत्याकांड

मामला दिसंबर, 1973 का है। डॉ एनएस जैन देश के जाने-माने नेत्र विशेषज्ञ थे। तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि के वे मानद डॉक्टर भी थे। चार दिसंबर को उनकी पत्नी विद्या को कुछ लोगों ने चाकू मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया। अस्पताल जाते वक्त उनकी मौत हो गई। बाद में पुलिस की जांच में हत्याकांड में उनके पति यानी डॉ एनएस जैन और उनकी प्रेमिका का नाम सामने आया।


नैना साहनी हत्याकांड

तंदूर कांड नाम से यह मामला पूरे देश में चर्चित हुआ। दो जुलाई, 1995 को दिल्ली युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सुशील शर्मा ने अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या की। उस दिन जब सुशील अपने घर पहुंचा तो नैना किसी से फोन पर बात कर रही थी। सुशील को देखते ही उसने फोन काट दिया। सुशील ने रीडायल करके पता किया कि नैना अपने दोस्त मकतूल करीम से बात कर रही थी। सुशील को यह नागवार गुजरा और उसने लाइसेंसी रिवाल्वर से नैना की गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में अपने रेस्तरां मैनेजर की मदद से शव के टुकड़े-टुकड़े कर उसे तंदूर में जलाने की कोशिश की। सुशील ने बेंगलुरु पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। ट्रायल कोर्ट की मौत की सजा को बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कैद में तब्दील कर दिया।

संजय, गीता चोपड़ा हत्याकांड

1978 में दिल्ली में रंगा और बिल्ला ने फिरौती के लिए संजय और गीता नामक दो बच्चों का अपहरण किया। जब उन्हें पता चला कि बच्चों के पिता नौसेना अधिकारी हैं तो उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। बाद में उन्होंने गीता के साथ दुष्कर्म किया और दोनों की हत्या कर दी। इसके बाद शहर छोड़कर भाग गए। कुछ महीने बाद पकड़े जाने पर 1982 में उन्हें फांसी दी गई।

मधुमिता हत्याकांड

22 वर्षीय मधुमिता शुक्ला की हत्या के बाद साल 2003 में उत्तर प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया था। देशभर में इस हत्याकांड की चर्चा थी। मधुमिता की हत्या का आरोप उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता अमरमणि त्रिपाठी पर लगा। उस वक्त वह मायावती की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। बाद में मायावती ने त्रिपाठी को न सिर्फ सरकार से बाहर किया, बल्कि पार्टी से भी निकाल दिया। अब वह इस नवोदित कवयित्री की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। मधुमिता की उसके घर में ही गोली मारकर हत्या की गई थी। हत्या के वक्त वह गर्भवती थी और डीएनए टेस्ट के पता चला कि उसके पेट में पल रहा बच्चा अमरमणि त्रिपाठी का था। 


प्रमोद महाजन हत्याकांड

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रमुख नेता रहे प्रमोद महाजन का हत्याकांड भी काफी चर्चा में रहा। प्रमोद महाजन की उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन ने उनके वर्ली (मुंबई) स्थिति घर में अप्रैल 2006 में गोली मारकर हत्या कर दी थी। बड़े भाई की हत्या के बाद प्रवीण आराम से पास के पुलिस स्टेशन में पहुचा और बताया, 'मेरा नाम प्रवीण है और मैंने अपने भाई प्रमोद महाजन की हत्या की है।' प्रवीण को उम्रकैद की सजा सुनाई गई और मार्च 2010 में उसकी ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई थी।

शिवानी भटनागर हत्याकांड

एक प्रमुख अंग्रेजी दैनिक अखबार में प्रिंसिपल कॉरेस्पोंडेंस के तौर पर काम करने वाली शिवानी भटनागर की पूर्वी दिल्ली स्थित नवकुंज अपार्टमेंट में जनवरी 1999 में बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड ने देशभर में लोगों को हिलाकर रख दिया था। आखिरकार हरियाणा पुलिस के आईजी रविकांत शर्मा गुनहगार के रूप में सामने आए। रविकांत शर्मा ने सितंबर 2002 में आत्मसमर्पण कर दिया। निचली अदालत ने रविकांत सहित चार लोगों को दोषी पाया, लेकिन साल 2011 में हाईकोर्ट ने पूर्व आईजी को आरोपमुक्त कर दिया।

प्रियदर्शिनी मट्टू केस

कानून की पढ़ाई कर रही प्रियदर्शिनी मट्टू 23 जनवरी 1996 को अपने अंकल के घर पर मृत पायी गई। प्रियदर्शिनी के सीनियर संतोष कुमार सिंह कई सालों से उसका उत्पीड़न कर रहा था। इस हत्या का आरोप भी उसी पर लगा। संतोष एक प्रभावशाली आईपीएस अफसर का बेटा है। बाद में खुलासा हुआ कि संतोष ने एक बिजली की तार प्रियदर्शिनी की गर्दन पर लपेटकर उसकी हत्या की थी। यही नहीं उसने अपने हेलमेट से प्रियदर्शिनी के चेहरे पर कई वार किए, जिस वजह से उसको पहचान पाना मुश्किल हो गया था। अक्टूबर 2006 में दिल्ली हाईकोर्ट ने संतोष को फांसी की सजा सुनाई, जबकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा को कमकर उम्रकैद में बदल दिया था।

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