रूस की मदद से मजबूत होगी हवाई सुरक्षा

रूस के उप प्रधानमंत्री दमित्री रोगोजिन ने कहा है कि रूस भारत को एस-400 ट्रायंफ विमान रोधी मिसाइल प्रणालियों की आपूर्ति करने की तैयारी कर रहा है

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 06 Jun 2017 04:15 PM (IST) Updated:Tue, 06 Jun 2017 04:15 PM (IST)
रूस की मदद से मजबूत होगी हवाई सुरक्षा
रूस की मदद से मजबूत होगी हवाई सुरक्षा

डॉ. लक्ष्मी शंकर यादव

रूस भारत को अत्यंत आधुनिकहवाई मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 ट्रायंफ देगा। दोनों देशों के बीच इस पर बातचीत हो चुकी है। इस मिसाइल रक्षा प्रणाली को दुनिया का सबसे उन्नत मिसाइल सिस्टम माना जाता है। रूस के उप प्रधानमंत्री दमित्री रोगोजिन ने कहा है कि रूस भारत को एस-400 ट्रायंफ विमान रोधी मिसाइल प्रणालियों की आपूर्ति करने की तैयारी कर रहा है और दोनों पक्ष बिक्री की शर्तो पर चर्चा कर रहे हैं।

पिछले साल गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारत और रूस के मध्य इस रक्षा समझौते पर वार्ता हुई थी। जाहिर है भारत अपनी हवाई सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने में जुट गया है। अब रूस के साथ नई डील से भारत की हवाई ताकत अधिक मजबूत हो जाएगी। एस-400 ट्रायंफ दुश्मन देश की 36 परमाणु क्षमता युक्त बैलिस्टिक मिसाइलों को एक ही वक्त में एक साथ टारगेट कर सकेगा। दरअसल रूस का यह अति आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस है।

इस प्रणाली के जरिये 400 किलोमीटर की दूरी तक के उड़ते हुए लक्ष्य मसलन विमान, मिसाइल, छुपे हुए विमानों व ड्रोन आदि किसी भी को निशाना बनाया जा सकता है। यही नहीं, इस हवाई रक्षा प्रणाली की मदद से बैलिस्टिक मिसाइल और हाइपरसोनिक लक्ष्यों को भी भेदा जा सकता है। इसकी मदद से आसानी से न पकड़ में आने वाले लड़ाकू विमान भी गिराए जा सकते हैं। इसे छोड़ने में बहुत कम समय लगता है।1एस-400 ट्रायंफ में सुपरसोनिक एवं हाइपरसोनिक मिसाइलें होती हैं जो लक्ष्य को निशाना बनाने में अचूक होती हैं। इस प्रणाली के विकास की शुरुआत 90 के दशक में हो गई थी।

रूस की रक्षा अनुसंधान इकाई अलमाज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो ने 1990 में इसे तैयार किया था और 1999 में रूस की वायु सेना में इसे शामिल किया गया था। एस-400 ट्रायंफ नई पीढ़ी का एंटी मिसाइल और एंटी एयरक्राफ्ट हथियार है। यह एस-300 श्रेणी का नवीनतम संस्करण है और फिलहाल इसका प्रयोग रूस की सेना कर रही है। यह प्रणाली तीन तरह का सुरक्षा घेरा मुहैया कराती है। इसके लिए तीन अलग-अलग तरह की मिसाइलों को प्रयोग में लाया जाता है। इनमें 400 किलोमीटर की अधिकतम दूरी तक मार करने के लिए 40-एम-6, लंबी दूरी तक मार करने के लिए 48-एन-6 और मध्यम दूरी तक मार करने के लिए 9-एम-96 मिसाइलों का इस्तेमाल किया जाता है।

अपनी तरफ आने वाली शत्रु की मिसाइल को मार गिराने में सक्षम सबसे लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल की गति 4800 मील यानी 17000 किलोमीटर प्रति घंटा है। 1मिसाइल रक्षा प्रणाली एस-400 ट्रायंफ को देश के परमाणु प्रतिष्ठानों, अधिक आबादी वाले वाले क्षेत्रों, सरकारी इमारतों एवं सामरिक रूप से महत्वपूर्ण ठिकानों आदि की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यह सिस्टम दूर से चलाई गई मिसाइलों को उपग्रहों की मदद से भांप लेता है और खतरा महसूस होते ही उस पर मिसाइलें दाग देता है। यह प्रणाली एक साथ 36 लक्ष्‍यों को निशाना बना सकती है।

एस-400 सिस्टम जमीन से हवा में भी मार कर सकता है। रूस का यह एंटी मिसाइल सिस्टम अमेरिका के मिसाइल सिस्टम पैटियॉट-3 को भी टक्कर देने वाला है। यह सिस्टम पांचवीं पीढ़ी के विमानों को भी गिराने की क्षमता रखता है। रडार की पकड़ में न आने वाला यह सिस्टम अमेरिका के सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक जेट फाइटर तथा स्टील्थ फाइटर एफ-35 विमानों के अलावा केवी-1, एफबी-111, बी-52एच, ईए-6, टीआर-1, ई3-ए, ई2-सी, एफ-15, एफ-16 व एफ-22 जैसे लड़ाकू विमानों को भी नष्ट करने में सक्षम है।

रूस के अलावा यह प्रणाली केवल चीन के पास है। चीन ने इसे रूस से ही खरीदा था। 1इन्हीं विशेषताओं के कारण पाकिस्तान व चीन जैसे देशों से निपटने के लिए भारत यह प्रणाली अपने सबसे पुराने एवं विश्वसनीय दोस्त रूस से खरीदने जा रहा है। इस सौदे से पुरानी दोस्ती का नवीनीकरण होगा। यह प्रणाली पाकिस्तान व चीन से होने वाले किसी भी हमले की स्थिति में बेहद कारगर सिद्ध होगी। इसके प्राप्त होने के भारत किसी भी हमले की स्थिति में मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम होगा। निश्चित है कि इस सुरक्षा प्रणाली के आने से देश की हवाई सुरक्षा अत्यंत मजबूत हो जाएगी।

(लेखक सैन्य मामलों के जानकार हैं)

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