बढ़ने को हैं गेहूं की कीमत, खरीदना हो तो अभी है आपके पास समय!

गेंहूं की कीमत बढ़ने को है। यदि ऐसा हुआ तो इसको रोकने के लिए सरकार के पास गेंहू का अतिरिक्‍त स्‍टॉक भी नहीं है। लिहाजा यह चिंता का विषय हो सकता है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Fri, 03 Jun 2016 06:15 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jun 2016 09:57 PM (IST)
बढ़ने को हैं गेहूं की कीमत, खरीदना हो तो अभी है आपके पास समय!

नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। गेहूं की सरकारी खरीद घटने से एफसीआई की वित्तीय सेहत में भले ही सुधार हो जाए, लेकिन चालू सीजन में गेहूं के मूल्य में तेजी आने के आसार हैं। आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतों को थामने के लिए सरकार के पास अतिरिक्त स्टॉक नहीं होगा। सरकार के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है। हालांकि सार्वजनिक राशन प्रणाली के लिए गेहूं का स्टॉक कम नहीं पड़ेगा।

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गेहूं की सरकारी खरीद अपने निर्धारित लक्ष्य तीन करोड़ टन के मुकाबले 70 लाख टन कम हुई है। जबकि पिछले रबी खरीद सीजन में 2.80 करोड़ टन गेहूं की खरीद की गई थी। लेकिन इस बार पंजाब और हरियाणा को छोड़कर बाकी सभी गेहूं उत्पादक राज्यों में खरीद बुरी तरह प्रभावित हुई है। गेहूं पैदावार के आंकड़े के लिए इससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं।

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खाद्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सार्वजनिक राशन प्रणाली (पीडीएस) के लिए कुल 2.40 से 2.50 करोड़ टन गेहूं की जरूरत पड़ेगी। जून 2016 के लिए राशन प्रणाली के लिए 24 लाख टन चावल और 20.5 लाख टन का आवंटन किया गया है। जबकि मई 2016 में पुराने स्टॉक के साथ कुल 2.13 करोड़ टन चावल और 3.14 करोड़ टन गेहूं का स्टॉक है। इसमें नया व पुराना दोनों स्टाक शामिल है।

यूएस की टॉप 60 बिजनेसवूमेन में शामिल हुई ये दो भारतीय महिलाएं अनाज के भारी स्टॉक से लगातार घाटा उठा रहे एफसीआई को खरीद में आई कमी से राहत मिली है। वर्ष 2012 के बाद से देश में खाद्यान्न का स्टॉक जरूरत के मुकाबले कई गुना अधिक रहा है। इससे जिंस बाजार में खाद्यान्न की कीमतें भले ही सुस्त रही हों, लेकिन एफसीआई की घाटे में निरंतर वृद्धि दर्ज होती रही है। प्रत्येक 10 लाख टन अनाज की खरीद और रखरखाव सालाना 2000 से 2500 करोड़ रुपये तक का खर्च आता है। चालू खरीद सीजन में 70 लाख टन कम खरीद होने से 10 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की बचत होने की उम्मीद है।

व्हाइट हाउस में पहुंचने के काबिल नहीं है डोनाल्ड ट्रंप: हिलेरी गेहूं की कम खरीद का दूसरा सबसे बड़ा असर जिंस बाजारों में दिखेगा, जहां मूल्य तेज हो सकते हैं। पिछले सालों में आमतौर पर खाद्यान्न का मूल्य बढ़ते ही सरकार अपनी खुली बिक्री योजना के तहत हस्तक्षेप करती रही है। लेकिन अब सीमित स्टॉक की वजह से ऐसा कर पाना आसान नहीं होगा।

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