तस्करी के खेल में ऐसे जहरीली हो जाती है शराब, UP समेत दो राज्यों में 48 की मौत, 46 गंभीर

चंद रुपयों के लालच में शराब माफिया जहरीली शराब बनाकर लोगों की जान से खेल रहे हैं। इसके लिए सरकारी लापरवाही भी जिम्मेदार है। जानें- कैसे बनती है जहरीली शराब?

By Amit SinghEdited By: Publish:Fri, 08 Feb 2019 07:30 PM (IST) Updated:Fri, 08 Feb 2019 07:40 PM (IST)
तस्करी के खेल में ऐसे जहरीली हो जाती है शराब, UP समेत दो राज्यों में 48 की मौत, 46 गंभीर
तस्करी के खेल में ऐसे जहरीली हो जाती है शराब, UP समेत दो राज्यों में 48 की मौत, 46 गंभीर

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। यूपी के सहारनपुर व कुशीनगर में जहरीली शराब पीने से 34 लोगों की मौत हो गई, जबकि दस की हालत गंभीर है। उनका मेरठ व सहारनपुर में इलाज चल रहा है। वहीं हरिद्वार जिले के भगवानपुर क्षेत्र के कुछ गांवों में भी जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 36 लोगों की हालत गंभीर बताई जा रही है। जहरीली शराब पीने से हुई दोनों घटनाएं शुक्रवार की हैं। और ये कोई पहला या अंतिम मामला नहीं है। यूपी समेत देश के विभन्न राज्यों में आए दिन जहरीली शराब पीने से लोगों की मौत होती रहती है। ऐसे में सवाल उठता है कि हर साल हजारों मौतों की जिम्मेदार बनने वाली ये जहरीली शराब आती कहां से है या शराब कैसे जहरीली बन जाती है?

यूं जहरीली हो जाती है शराब
आबकारी अधिकारियों के अनुसार एफिल एल्कोहल से बनने वाली शराब में यदि मिथाइल एल्कोहल मिल जाता है तो वह जहरीली हो जाती है। ऐसा कच्ची शराब बनाने व अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में हो सकता है। सूत्र बतातें हैं कि शादी-विवाह व त्यौहारों पर शराब की मांग बढ़ती है तो कच्ची शराब बनाने वाले टिंचर व ऑक्सीटोसिन का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में इनकी मात्रा ज्यादा होने पर यह जहर जैसी हो जाती है। इसके अलावा कच्ची शराब बनाने में इस्तेमाल होने वाली महुए की लहन को सड़ाने के लिए ऑक्सीटोसिन, नौसादर और यूरिया जैसे खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे भी शराब के जहरीली होने का खतरना रहता है।

क्या है मिथाइल एल्कोहल
जानकारों के अनुसार मिथाइल एल्कोहल एक प्रकार का जहर है, जो कीट नाशकों में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल औद्योगिक प्रतिष्ठानों में पेंट व थिनर आदि बनाने में भी किया जाता है। कई बार देशी शराब में इसका प्रयोग नशा बढ़ाने के लिए कर दिया जाता है, जो जानलेवा बन जाता है। हालांकि मिथाइल एल्कोहल एक प्रतिबंधित रसायन है। ये आसानी से उपलब्ध नहीं होता है। बावजूद सरकारी लापरवाही और चंद रुपयों के लालच में ये केमिकल शराब माफिया तक पहुंच जाता है।

एथाइल एल्कोहल का कंफ्यूजन
एथाइल एल्कोहल का इस्तेमाल शराब बनाने में किया जाता है। इसे रेक्टीफाइड स्प्रिट या ओपी आदि के नाम से जाना जाता है। कभी-कभी शराब माफिया एथाइल एल्कोहल की जगह देशी शराब बनाने में मेथाइल एल्कोहल का इस्तेमाल कर देते हैं। दरअसल इन दोनों तरह के एल्कोहल की ढुलाई अनुबंधित ट्रांसपोर्टरों के टैंकरों से ही किया जाता है। मिथाइल एल्कोहल सप्लाई करने के बाद टैंकर को सही से साफ नहीं किया जाता है। ऐसे में मिथाइल एल्कोहल और एथाइल एल्कोहल का मिश्रण हो जाता है। कई बार टैंकर चालक ढुलाई के दौरान रास्ते में अवैध ढंग से इन एल्कोहल की कुछ मात्रा को शराब माफियाओं को बेच देते हैं, लेकिन टैंकर चालकों को ये पता नहीं होता है कि उसमें कौन सा एल्कोहल भरा है।

इसलिए हो जाती है मौत
कच्ची शराब में यूरिया या ऑक्सीटोसिन जैसे रसायन मिलाने से मिथाइल एल्कोहल बन जाता है या एथाइल एल्कोहल के कंफ्यूजन में कई बार शराब में मेथाइल एल्कोहल का इस्तेमाल कर दिया जाता है, जिससे लोगों की मौत हो जाती है। मिथाइल एल्कोहल शरीर में जाते ही रिएक्शन करने लगता है। इससे अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं, जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है। 

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