इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इस कारनामे को जानकर हो जाएंगे हैरान, 13 साल बाद छात्रा को दिया पदक
पदक विवाद के पीछे इलाहाबाद विश्वविद्यालय का वह निर्णय था कि जिस सत्र के लिए दीक्षा समारोह आयोजित किया जा रहा है तो केवल उन सत्रों में टाप करने वालों को ही पदक दिया जाना चाहिए जबकि बाकी अन्य लोगों को प्रमाण पत्र से ही संतोष करना चाहिए। लंबे समय बाद 2021 में आयोजित दीक्षा समारोह में छात्र को इसी निर्णय के आधार पर पदक के लिए नहीं चुना गया।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज। प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने पूर्व छात्रा निष्ठा मिश्रा को 13 साल बाद पदक प्रदान किया। स्नातक एवं स्नातकोत्तर में टापर रहीं छात्रा निष्ठा मिश्रा में राष्ट्रपति के शिकायत कक्ष से इवि से अपने पदक जारी कराने के लिए गुहार लगाई थी।
निष्ठा मिश्रा ने 2011 की स्नातक परीक्षा में नामांकित सभी तीन विषयों में टाप किया था और 2013 में अंग्रेजी साहित्य परीक्षा में परस्नातक में भी टाप किया था। वह लगातार पांच वर्षों तक अपने सभी विषयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली छात्रा रहीं। उनकी तमाम उपलब्धियों के बावजूद वर्षों तक इवि द्वारा पदकों से वंचित रखा गया।
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पीएमओ के हस्तक्षेप के बाद चार मई को विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्नातक एवं स्नातकोत्तर दोनों लगातार पांच वर्षों तक मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए उन्हें चार स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। पदक विवाद के पीछे इलाहाबाद विश्वविद्यालय का वह निर्णय था की जिस सत्र के लिए दीक्षा समारोह आयोजित किया जा रहा है तो केवल उन सत्रों में टाप करने वालों को ही पदक दिया जाना चाहिए, जबकि बाकी अन्य लोगों को प्रमाण पत्र से ही संतोष करना चाहिए। लंबे समय बाद 2021 में आयोजित दीक्षा समारोह में छात्र को इसी निर्णय के आधार पर पदक के लिए नहीं चुना गया था।
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी प्रो. जया कपूर ने कहा कि निष्ठा मिश्रा ने मंत्रालय में तथा कुलपति से अपील की थी कि दीक्षा समारोह नहीं होने के कारण उनको उनके दिए जाने वाले गोल्ड मेडल नहीं मिले हैं। उनकी अपील को ध्यान में रखते हुए कुलपति ने उनको मेडल दिए जाने का आदेश दिया और कल परीक्षा नियंत्रक द्वारा उनको जीते गए मेडल दे दिए गए हैं।