28 जजों को हर बुधवार बेसब्री से रहता है लजीज लंच का इंतजार

सुप्रीम कोर्ट के जजों को हर बुधवार को लंच में किसी खास राज्य के लजीज पकवान परोसे जाते हैं वो भी सिर्फ घर के बने।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 18 Apr 2017 08:54 AM (IST) Updated:Tue, 18 Apr 2017 08:55 AM (IST)
28 जजों को हर बुधवार बेसब्री से रहता है लजीज लंच का इंतजार
28 जजों को हर बुधवार बेसब्री से रहता है लजीज लंच का इंतजार

नई दिल्ली (पीटीआई)। सुप्रीम कोर्ट के जजों द्वारा एक परंपरा का पालन किया जा रहा है। उन्हें हर हफ्ते बुधवार के लंच ब्रेक का बेसब्री से इंतजार रहता है। इस दिन उन्हें किसी खास राज्य के लजीज पकवान परोसे जाते हैं वो भी सिर्फ घर के बने। इस पूरी कवायद का एक ही उद्देश्य है कि सुनवाई के दौरान के मतभेद और दूसरे कामों के दबावों को भुलाकर आपसी मित्रता को बढ़ाया जाए। रिटायर्ड जस्टिस कुलदीप सिंह ने नब्बे के दशक में साप्ताहिक लंच का सुझाव दिया था।

उन्होंने बताया, उस समय के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंगनाथ मिश्र ने सुझाव को माना और इस परंपरा की शुरुआत हुई। बुधवार को सभी 28 जज एक बजते ही कॉमन डाइनिंग हॉल में एक साथ स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाते हैं। इस दौरान किसी केस या कानून की बात नहीं होती, बल्कि सभी न्यायाधीश लजीज खाने की विधि और मसालों पर चर्चा करते हैं। इस बात का भी ख्याल रखा जाता है कि भोजन पूरी तरह शाकाहारी हो और खाने के लिए सिर्फ पांच पकवान ही परोसे जाएं। खाने के बाद हर जज को उनकी पसंद का पान दिया जाता है।

खास बात यह है कि बुधवार को जो न्यायाधीश खाना लाते हैं उसमें उनके ही राज्य के प्रसिद्ध पकवान शामिल रहते हैं। वहीं के मसालों का इस्तेमाल कर पूरी पारंपरिक विधि से खाना पकाया जाता है ताकि खाने में स्थानीय स्वाद बना रहे। स्वाद की पूरी जिम्मेदारी जज की पत्नी निभाती हैं।

गत बुधवार को जस्टिस अरुण मिश्र के घर में बना मध्यप्रदेश का पारंपरिक पकवान परोसा गया, जिसमें भरवां भिंडी और बैंगन, मलाई कोफ्ता और पनीर लबाबदार शामिल था। वहीं मीठे में खीर और अन्नस केसर हलवा व मालपुआ रहा।

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