प्रधानमंत्री मोदी की गुजरात यात्रा यूं ही नहीं, पीछे छिपी है ये चुनावी रणनीति
सूरत वही जगह है जहां पाटीदार आंदोलन हुआ था, जिसका असर यूं रहा कि पिछले वर्ष पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के सूरत दौरे के वक्त पाटीदारों द्वारा उनकी सभा में जमकर हंगामा किया गया।
नई दिल्ली,जेएनएन। प्रधानमंत्री मोदी इन दिनों खासकर ऐसे राज्यों का दौरा कर रहे हैं, जहां अगले कुछ वर्षों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। ओडीशा के दौरे के बाद पीएम मोदी की सूरत यात्रा के मायने गुजरात चुनाव से जोड़कर भी निकाले जा रहे हैं।
यूं तो प्रधानमंत्री गुजरात में लगातार अपनी मौजूदगी दर्ज करवाते रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में मिली जीत के बाद सूरत में प्रधानमंत्री के स्वागत को देखते हुए लगता है कि पार्टी को उम्मीद है कि गुजरात में भी ऐसा माहौल बनेगा। सूरत वही जगह है जहां पाटीदार आंदोलन हुआ था, जिसका असर यूं रहा कि पिछले वर्ष पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के सूरत दौरे के वक्त पाटीदारों द्वारा उनकी सभा में जमकर हंगामा किया गया।
सूरत, राजकोट, नर्मदा, मेहसाणा, वडोदरा, अहमदाबाद, गांधीनगर, भरूच आदि शहरों की यात्रा के बाद मोदी अब उन शहरों को छू रहे हैं जहां भाजपा को आगामी चुनाव में चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। सूरत में पाटीदार समुदाय की काफी अच्छी तादात है, साथ ही सूरत में 45 लाख लोग रहते हैं, जो कि अहमदाबाद के बाद जनसंख्या के मामले में गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। ऐसे में मोदी समेत भाजपा द्वारा यहां आगामी चुनाव की नींव रखी जा चुकी है।
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पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते भाजपा का कोर वोटर छिटक गया था। मोदी इस दौरे में सूरत, व्यारा, बाजीपुरा, सिलवासा, बोटाद व भावनगर गए। मोदी ने गुजरात का मुख्यमंत्री रहते व्यारा में सुमुल डेयरी प्लांट का शिलान्यास किया था और अब उद्धाटन भी किया। सौराष्ट्र के लिए उन्होंने नर्मदा जल बांध से जलापूर्ति की दस हजार करोड़ की सौनी योजना की घोषणा की थी, जिसके दूसरे चरण का उद्धाटन बोटाद में किया।
पीएम मोदी के इस तूफानी दौरे ने राजनीतिक माहौल गरमा दिया है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी जल्दी ही गुजरात दौरे पर आएंगे।
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