हाई कोर्ट ने इस राज्‍य में कर्मचारियों के वेतन कटौती आदेश पर रोक लगाई, जानें क्‍या कहा

केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर दो माह तक रोक लगा दी है। केरल सरकार ने महामारी से संघर्ष के लिए सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती का आदेश दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 28 Apr 2020 09:29 PM (IST) Updated:Tue, 28 Apr 2020 09:52 PM (IST)
हाई कोर्ट ने इस राज्‍य में कर्मचारियों के वेतन कटौती आदेश पर रोक लगाई, जानें क्‍या कहा
हाई कोर्ट ने इस राज्‍य में कर्मचारियों के वेतन कटौती आदेश पर रोक लगाई, जानें क्‍या कहा

कोच्चि, प्रेट्र। केरल हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश पर दो माह तक रोक लगा दी है। केरल सरकार ने राज्य में कोविड-19 महामारी से संघर्ष के लिए सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कटौती का आदेश दिया है।

वेतन में से हर माह छह दिनों की कटौती की जाएगी

जस्टिस बेचु कुरियन थॉमस ने कर्मचारियों और उनके संगठनों की ओर से सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए दाखिल याचिकाओं पर विचार करने के बाद अंतरिम आदेश जारी किया।

सरकार ने अपने आदेश में कहा था कि अगले पांच महीने तक राज्य के सरकारी कर्मचारियों के वेतन में से हर माह छह दिनों की कटौती की जाएगी। आदेश में कहा गया है, 'राज्य के स्वामित्व वाले सभी उद्यमों, पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग, अर्ध-सरकारी संगठनों, विश्वविद्यालयों आदि पर भी यह आदेश लागू होगा।'

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20 हजार से कम वेतन वालों में नहीं होगी कटौती 

हालांकि यह भी स्पष्ट किया गया था कि जिन कर्मचारियों की आय 20,000 रुपये प्रति माह से कम है उनके वेतन में किसी प्रकार की कटौती नहीं की जाएगी। आदेश में यह भी कहा गया है कि मंत्री, विधायक, विभिन्न बोर्डों के सदस्य, स्थानीय निकाय संस्थागत सदस्य तथा विभिन्न आयोगों के सदस्य एक साल तक 30 फीसद कम वेतन पाएंगे।

केरल सरकार ने की थी एक साल तक 30% की कटौती की घोषणा  

ज्ञात हो कि कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के कारण केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने पिछले 23 अप्रैल को घोषणा की थी कि राज्य में सभी चुने हुए प्रतिनिधि, विधायक, सरकार के तहत विभिन्न बोर्डों के सदस्य और स्थानीय स्व-सरकारी निकायों के सदस्यों के मासिक वेतन से हर महीने 30% की कटौती की जाएगी और ऐसा एक साल तक के लिए लागू रहेगा।   

मोदी सरकार ने भी किया सैलरी में 30 फीसदी की कटौती करने का फैसला

इससे पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री समेत सभी कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों की सैलरी में 30 फीसदी की कटौती करने का फैसला लिया और वो भी पूरे एक साल तक। इस बारे में जानकारी देते हुए प्रकाश जावड़ेकर ने बताया था कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपालों ने स्वेच्छा से सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में अपने वेतन कटौती का फैसला किया है। यह धनराशि भारत के समेकित कोष में जाएगी।

प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि कैबिनेट ने भारत में कोरोना वायरस के प्रतिकूल प्रभाव के प्रबंधन के लिए 2020-21 और 2021-22 के लिए सांसदों को जो  MPLAD फंड को भी अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया जाएगा। दो साल के लिए इस फंड के 7900 करोड़ रुपए का उपयोग भारत की संचित निधि में किया जाएगा।

लॉकडाउन के दौरान वेतन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के सरकारी निर्देश पर केन्द्र सरकार से जवाब मांगा। हालांकि कोर्ट ने याचिका पर केन्द्र को कोई औपचारिक नोटिस जारी नहीं किया है। मामले पर दो सप्ताह बाद फिर सुनवाई होगी। लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन व कुछ अन्य लोगों ने याचिका दाखिल कर निजी कंपनियों को लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के केन्द्र सरकार के 29 मार्च के आदेश को चुनौती दी है और कोर्ट से यह आदेश रद करने की मांग की है।

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