कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ता कटौती के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गई है कि केन्द्र और राज्य सरकारों को तत्काल कर्मचारियों को मंहगाई भत्ते का भुगतान करने का आदेश दिया जाए।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मंहगाई भत्ता कटौती के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है। याचिका में मांग की गई है कि केन्द्र और राज्य सरकारों को तत्काल कर्मचारियों को मंहगाई भत्ते का भुगतान करने का आदेश दिया जाए। यह याचिका सेवानिवृत मेजर ओंकार सिंह गुलेरिया ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है।
रिटायर्ड मेजर ने दाखिल की याचिका
याचिका में मंहगाई भत्ते का तत्काल भुगतान करने का आदेश मांगने के साथ कोर्ट से यह भी अनुरोध किया गया है कि केन्द्र सरकार को मंहगाई भत्ते का भुगतान रोकने के बाद से विभिन्न कारोबार सेक्टर को आर्थिक पैकेज देने की योजना घोषित करने से भी रोका जाए। क्योंकि भारत सरकार ने स्वीकार किया है कि देश की वित्तीय हालत अभी ठीक नहीं है। ईमेल के जरिये 24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई इस याचिका में कहा गया है कि केन्द्र सरकार को प्रधानमंत्री के कहे मुताबिक काम करना चाहिए जो कहते हैं कि वरिष्ठ नागरिकों का ध्यान रखो और वेतन में कटौती मत करो।
सरकार की घोषणा से पेंशन भोगियों को हुआ नुकसान
रिटायर्ड मेजर ने याचिका में कहा है कि वह कैंसर के मरीज हैं और दाहिने पैर से विकलांग हैं। वरिष्ठ नागरिक होने के साथ ही उन्हें उच्च रक्तचाप आदि की भी बीमारी है। उनके साथ उनकी पत्नी हैं और वे भी कई बीमारियों से ग्रसित वरिष्ठ नागरिक हैं। उनका अपना कोई घर नहीं वे किराए के घर में रहते हैं और उनके गुजारे का साधन सिर्फ मेजर रैंक की पेंशन है। उनके जैसे लाखों सेवानिवृत लोग सरकार के मंहगाई भत्ता कटौती के फैसले से पीड़ित हैं।
सरकार को अप्रैल के पहले सप्ताह में मंहगाई भत्ता देना था जो कि उसने नहीं दिया और 20 अप्रैल को मंहगाई भत्ता बंद करने की घोषणा कर दी। वह भी पिछली तारीख 1 जनवरी से उसे लागू किया। सरकार की इस घोषणा से उनके जैसे सेवानिवृत सैनिकों को कोरोना महामारी के दौरान भारी नुकसान हुआ है। मंहगाई भत्ता एक प्रकार से वेतन का ही हिस्सा होता है। पेंशन पाने वालों की पेंशन में इसे जोड़ा जाता है। लेकिन सरकार ने 20 अप्रैल को मनमाना और गैरकानूनी आदेश जारी कर इसे रोक दिया। महंगाई भत्ता बहाल करने के अनुरोध के साथ याचिका में कहा गया है कि भारत सरकार अन्य वर्गो का ख्याल रख रही है लेकिन ऐसा मध्यम वर्ग की कीमत पर किया जा रहा है। उनके मंहगाई भत्ते में कटौती की गई है जिसके वे हकदार हैं।