कैसे सुधरे हालात, खेती से जुड़े आधे संस्थान मुखिया विहीन

आइसीएआर के शोध संस्थान कामचलाऊ लोगों के भरोसे चल रहे हैं।

By Kishor JoshiEdited By: Publish:Sun, 18 Feb 2018 07:34 PM (IST) Updated:Sun, 18 Feb 2018 07:34 PM (IST)
कैसे सुधरे हालात, खेती से जुड़े आधे संस्थान मुखिया विहीन
कैसे सुधरे हालात, खेती से जुड़े आधे संस्थान मुखिया विहीन

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। देश में खेती से जुड़े आधे से अधिक संस्थान मुखिया विहीन हैं। ऐसे में शोध संस्थान कामचलाऊ लोगों के भरोसे चल रहे हैं। पिछले डेढ़ साल से निदेशकों के पद खाली हैं। इन रिक्त पदों को भरे भी तो कौन, कृषि वैज्ञानिकों की भर्ती करने वाले चयन बोर्ड में न चेयरमैन नियुक्त हैं और न ही पूरे सदस्य। इन विषम परिस्थितियों में किसानों की आमदनी को बढ़ाना और बड़ी चुनौती होगा।

प्रक्रियागत बदलावों के बहाने डेढ़ साल से ठप हैं नियुक्तियां 

प्रक्रियागत बदलावों के बहाने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) में पिछले डेढ़ साल से नियुक्तियां ठप हैं। आइसीएआर में कुल 102 शोध संस्थान हैं, जिनमें से 55 संस्थानों में पूर्णकालिक निदेशक नहीं हैं। इनमें पूसा स्थित ऐतिहासिक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान भी शामिल है, जिसने देश को खाद्यान्न मामले में आत्मनिर्भर बनाने में हरितक्रांति का बिगुल फूंका था। वैसे तो केंद्र सरकार ने पूसा की तर्ज पर तीन और संस्थानों की स्थापना कर दी है, लेकिन वहां भी निदेशकों की नियुक्ति नहीं की गई है।

नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए कई तरह के बदलाव की कोशिश की जा रही है। इसके लिए डॉक्टर एसएल मेहता कमेटी नियुक्ति की गई, जिसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है। लेकिन कमेटी की सिफारिशों को लागू अभी तक नहीं किया जा सका है। और तो और, कृषि वैज्ञानिकों का चयन करने वाला बोर्ड (एएसआरबी) खुद खाली है। फिलहाल न उसमें कोई चेयरमैन है और न ही सदस्यों की पूरी संख्या। एक मात्र सदस्य हैं। भला ऐसे बोर्ड से किसी चयन की अपेक्षा भी कैसे की जा सकती है।

कामचलाऊ लोगों के भरोसे चल रहे हैं आइसीएआर के शोध संस्थान

चयन प्रक्रिया में बदलाव के लिए नियुक्ति की पुरानी व्यवस्था को ठप कर दिया गया है। इसके चलते यह मुश्किल पेश आई है। निदेशकों के खाली पदों के साथ दूसरे और भी पद रिक्त हैं, जिन्हें भरे बगैर अनुसंधान के कार्य होना संभव नहीं है। निदेशकों के खाली पदों के साथ वैज्ञानिकों की भर्ती भी रुकी हुई है। लेकिन यह सब तब संभव हो सकेगा, जब एएसआरबी के खाली पदों को भरा जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक डाक्टर मेहता कमेटी की सिफारिशों को लेकर कई सवाल उठाये जाने लगे तो मंत्रालय ने उसे विधि मंत्रालय के पास भेजकर कानूनी राय मांगी। इससे लगातार विलंब हो रहा है। इस सारी कवायद में आइसीएआर के मजबूत ढांचे के चरमराने का खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में किसानों की आमदनी को बचाये रखना आसान नहीं होगा। आइसीएआर के कुल 102 संस्थानों में चार केंद्रीय डीम्ड विश्वविद्यालय, 64 विभिन्न तरह के संस्थान, 15 केंद्रीय रिसर्च सेंटर, छह नेशनल ब्यूरो और 13 निदेशालय हैं।

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