आधार की लड़ाई में सरकार को मिल सकती है जीत

निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सरकार के लिए 'आधार' योजना को बचाने की राह दिखाई दे रही है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Fri, 25 Aug 2017 03:11 AM (IST) Updated:Fri, 25 Aug 2017 03:11 AM (IST)
आधार की लड़ाई में सरकार को मिल सकती है जीत
आधार की लड़ाई में सरकार को मिल सकती है जीत

माला दीक्षित, नई दिल्ली। निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित करने के सुप्रीम कोर्ट के नौ न्यायाधीशों के फैसले में सरकार के लिए 'आधार' योजना को बचाने की राह भी दिखाई दे रही है। कोर्ट ने कहा है कि सामाजिक कल्याण की योजनाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचाने और संसाधनों की बर्बादी रोकने के लिए सरकार का डाटा एकत्रित करना वैध आधार हो सकता है। हालांकि सरकार जिस उद्देश्य से डाटा एकत्रित करती है उसका उसी उद्देश्य से उपयोग होना चाहिए। फैसले की ये पंक्तियां सरकार की योजना को अदालत में लंबित कानूनी लड़ाई में जीत दिलाती दिखती हैं। क्योंकि सरकार की लगातार यही दलील रही है कि उसने आधार कानून के तहत डेटा सामाजिक कल्याण की योजनाओं का वास्तविक जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने के लिए एकत्रित किया है और कानून में उस डेटा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये हैं।

- निजता के अधिकार के फैसले में ही निकलता है रास्ता - लेकिन तर्क की कसौटी पर खरा उतरना पड़ेगा आधार कानून को

 निजता का अधिकार मौलिक अधिकार घोषित होने की शुरुआत आधार केस से ही हुई थी और विवाद के मूल में भी आधार के लिए एकत्रित बायोमेट्रिक डेटा को निजता का हनन बताया गया था। निजता के फैसले के बाद पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ आधार की वैधानिकता परखेगी। यह देखा जाएगा कि आधार का कानून किस हद तक निजता के मौलिक अधिकार की कसौटी पर खरा उतरता है। सरकार की उम्मीदों को थोड़ा बल मिला है। सरकार शुरू से यही दलील दे रही है कि वह सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का फायदा वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचाने और बर्बादी रोकने के लिए यह योजना लाई है। इसके तहत जरूरतमंद के खाते में सीधे लाभ की रकम पहुंचती है वास्तविक व्यक्ति के अलावा किसी और को लाभ नहीं मिल सकता। निजता के फैसले में कोर्ट ने भी ऐसी ही सलाह दी है।

 कोर्ट ने कहा है कि सरकार अगर सीमित संसाधनों का दुरुपयोग रोकने के लिए और वास्तविक व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना सुनिश्चित करने के लिए डेटा एकत्रित करती है तो ये एक वैध आधार हो सकता है। हालांकि जिस उद्देश्य से डेटा एकत्रित किया जाए उसका उसी उद्देश्य में उपयोग होना चाहिए साथ ही सरकार को उस डेटा की सुरक्षा के भी उपाय करते चाहिए। पर सरकार को यह साबित करना होगा कि बैंक खाते से लेकर पैन और आयकर रिटर्न तक में आधार जोड़ना किस तरह तर्कसंगत है।

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