एंजेडा तय करने वाले चैनलों की बजाय अब परंपरागत मीडिया मोर्चा संभाले : जेटली

वित्त मंत्री ने कहा कि मैं उन लोगों में से हूं जो परंपरागत पाठक या दर्शक है। जिनका मानना है कि परंपरागत मीडिया की वापसी के लिए बहुत गुंजाइश है। मैं एजेंडा तय करने वाले टीवी चैनलों के बजाय बीबीसी का भारतीय वर्जन देखना चाहूंगा।'

By Atul GuptaEdited By: Publish:Sat, 12 Mar 2016 09:29 AM (IST) Updated:Sat, 12 Mar 2016 09:40 AM (IST)
एंजेडा तय करने वाले चैनलों की बजाय अब परंपरागत मीडिया मोर्चा संभाले : जेटली

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि परंपरागत मीडिया (अखबार और पत्रिका) पूरी तैयारी के साथ मोर्चा संभाल ले। एजेंडा तय करने वाले टेलीविजन समाचार चैनलों के मुकाबले आपके पास लक्ष्य हासिल करने का पूरा अवसर है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भी संभाल रहे जेटली ने शुक्रवार को इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट (आइपीएल) इंडिया अवार्ड फार एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म के समारोह को संबोधित करते हुए प्रिंट मीडिया की भरपूर पैरवी की। उन्होंने परंपरागत मीडिया के प्रमुखों से आग्रह किया कि पाठकों या दर्शकों को कुछ ऐसा दें जो भले ही परंपरागत हो पर ताजा हो। उन्होंने कहा, 'मीडिया के चलन का हम सभी आदर करते हैं। मैं उन लोगों में से हूं जो परंपरागत पाठक या दर्शक है। जिनका मानना है कि परंपरागत मीडिया की वापसी के लिए बहुत गुंजाइश है। मैं एजेंडा तय करने वाले टीवी चैनलों के बजाय बीबीसी का भारतीय वर्जन देखना चाहूंगा।'

उन्होंने कहा कि समाचार की परंपरागत परिभाषा में अब कोई सच्चाई नहीं रह गई है। प्रिंट मीडिया को अब खबरों की नई परिभाषा के साथ आगे आना होगा। जैसे कि पर्दे के पीछे का हाल देना होगा। वरना टीवी पर तो जो कैमरे में कैद है बस वही खबर है। जो बात कैमरे में कैद नहीं हुई उसकी अहमियत बहुत कम हो जाती है। उन्होंने कहा कि मीडिया जिस तरह उभरा है उससे लोकतंत्र को बढ़ाने में ही भारतीय मीडिया की भूमिका नहीं बढ़ी बल्कि इसने शोरगुल वाला लोकतंत्र भी दिया है।

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