माल गाड़ियों को दुर्घटना से बचाने के लिए फ्रेट कारीडोर पर लगेगी बाड़

मनुष्यों एवं पशुओं की अवांछनीय गतिविधियों से सुरक्षित रखने के लिए दोनों ओर कटीले तारों की बाढ़ लगाने की योजना है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Fri, 17 Aug 2018 10:27 PM (IST) Updated:Fri, 17 Aug 2018 10:27 PM (IST)
माल गाड़ियों को दुर्घटना से बचाने के लिए फ्रेट कारीडोर पर लगेगी बाड़
माल गाड़ियों को दुर्घटना से बचाने के लिए फ्रेट कारीडोर पर लगेगी बाड़

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मालगाडि़यों के लिए विशेष रूप से तैयार हो रहे समर्पित माल गलियारे 'डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर' को संभावित दुर्घटनाओं से सुरक्षित रखने के लिए इसके दोनो ओर बाड़ लगाई जाएगी। डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर कारपोरेशन के नवनियुक्त प्रबंध निदेशक अनुराग कुमार सचान ने ये बात कही।

संवाददाताओं से चर्चा में उन्होंने कहा कि फ्रेट कारीडोर केवल मालगाडि़यों के संचालन के लिए है। जापान के साथ समझौते के तहत इस पर यात्री गाडि़यां नहीं चलाई जा सकेंगी। इसे रेलवे संरक्षा आयोग के अधिकार क्षेत्र से भी बाहर रखा गया है। लेकिन सुरक्षा के पूरे इंतजाम होंगे। इसे मनुष्यों एवं पशुओं की अवांछनीय गतिविधियों से सुरक्षित रखने के लिए दोनों ओर कटीले तारों की बाढ़ लगाने की योजना है। इस पर डेढ़-दो सौ करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।

वैसे तो देश में कई माल गलियारों के निर्माण का प्रस्ताव है। लेकिन शुरुआत पूर्वी और पश्चिमी गलियारों से हुई है। लुधियाना (पंजाब) से डांकुनी (पश्चिम बंगाल) को जोड़ने वाले पूर्वी कारीडोर की लंबाई 1856 किमी है। जबकि 1504 किमी लंबा पश्चिमी कारीडोर जवाहरलाल नेहरू पोर्ट (मुंबई) को दादरी (उप्र) से जोडे़गा। दोनो पर 82 हजार करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। सरकार ने इन्हें मार्च, 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके बाद पूर्व तटीय माल गलियारे के निर्माण की योजना है, जो खड़गपुर (पश्चिम बंगाल) और विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) के बीच बनेगा। इस पर तकरीबन 40 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी।

माल गलियारों से न केवल रेलवे को लाभ होगा, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलेगी। दोनो गलियारों का विकास औद्योगिक गलियारों के समानांतर किया जा रहा है। सचान के अनुसार दिल्ली-मुंबई की भांति कानपुर-अमृतसर औद्योगिक कारीडोर की भी योजना है। उम्मीद है कि निर्माण के एक साल बाद पूर्वी व पश्चिमी गलियारों को 40 करोड़ टन माल यातायात के साथ 50 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।

अभी देश में रेल, रोड, जल समेत कुल 3.7 अरब टन माल परिवहन होता है। इसमें रेलवे की हिस्सेदारी लगभग 1 अरब टन अर्थात 30 प्रतिशत है। वर्ष 2020 में रेलवे का 70 प्रतिशत माल यातायात समर्पित गलियारे पर शिफ्ट होने से इसमें तीव्र बढ़ोतरी की संभावना है।

डीएफसीसी ने इसी 15 अगस्त को पश्चिमी कारीडोर के अटेली-फुलेरा सेक्शन पर 75 किमी की रफ्तार पर डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन चलाने का सफल परीक्षण किया था। लेकिन आगे इससे ज्यादा रफ्तार पर ट्रायल का प्रस्ताव है। इसके लिए आरडीएसओ से अनुमति मांगी गई है।

सचान के अनुसार 'आरडीएसओ ने हमें अधिकतम 75 किलोमीटर गति की अनुमति दी है। मगर ट्रैक की गुणवत्ता को देखते हुए हमने उनसे 100 किमी की अनुमति मांगी है। क्योंकि अंतत: तो हमें सौ किमी पर ही ट्रेने चलानी हैं।'डीएफसीसी की योजना नवंबर में पूर्वी कारीडोर के खुर्जा-भाऊपुर सेक्शन तथा दिसंबर में पश्चिमी कारीडोर के रेवाड़ी-मारवाड़ सेक्शन पर यातायात शुरू करने की है।

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