विकास के सामने बौना पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा, पर उम्मीदें बरकरार

सरकार को यह पहल उस समय करनी पड़ रही है, जब पर्यावरण बचाने के लिए बड़ी संख्या में कानून बनाने के बाद भी इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है।

By Tilak RajEdited By: Publish:Wed, 03 Jan 2018 08:11 PM (IST) Updated:Thu, 04 Jan 2018 06:25 PM (IST)
विकास के सामने बौना पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा, पर उम्मीदें बरकरार
विकास के सामने बौना पर्यावरण संरक्षण का मुद्दा, पर उम्मीदें बरकरार

नई दिल्ली, अरविंद पांडेय। पर्यावरण संरक्षण आज मानव जीवन से जुड़ा एक अहम मुद्दा है, पर विकास के आगे इसकी गूंज उतनी जोर से नहीं सुनाई देती है, जैसी समस्या है। ज्यादा दिनों तक इसकी उपेक्षा ठीक नहीं है। पिछले कुछ सालों ने हमने ऐसा रवैया अपनाकर देख लिया है। नतीजतन आज स्थिति ऐसी हो गई है, कि हमें साफ हवा के लिए तरसना पड़ा रहा है। खासकर दिल्ली जैसे शहरों की स्थिति कुछ ऐसी हो गई है, जहां साल में कम ही ऐसे दिन देखने को मिलते है, जब हवा का स्तर बिल्कुल साफ हो।

हालांकि सरकार ने इसके लिए कई बड़े कदम उठाए गए है, लेकिन इनमें एक बड़ी पहल जनजागरूकता को लेकर भी की है। लोगों को पर्यावरण बचाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। सरकार का मानना है कि इस समस्या को हल करने के लिए जन जागरुकता सबसे ज्यादा जरूरी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 20वें संस्करण में पर्यावरण से जुड़े विषय जल समस्या का जिक्र करते हुए जन भागीदारी से इसे हल करने की पहल की थी। निश्चित ही उनकी इस पहल का साफ मतलब था कि सरकार करोड़ों खर्च करने के बाद भी जो काम नहीं कर पा रही हो, उसे जन जागरूकता से हासिल किया जा सकता है। पर्यावरण को लेकर भी कुछ ऐसी ही कदम उठाने होंगे। खुशी इस बात को लेकर भी है कि प्रधानमंत्री मोदी की इस सोच को पर्यावरण मंत्रालय भी तेजी से आगे बढ़ा रहा है।

सरकार को यह पहल उस समय करनी पड़ रही है, जब पर्यावरण बचाने के लिए बड़ी संख्या में कानून बनाने के बाद भी इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। उदाहरण के तौर पर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ दंड के कड़े प्रावधान के वाबजूद भी प्रदूषण के स्तर में कोई कमी नहीं आयी। इसी तरह से जंगल और पेड़ों को काटने से बचाने के लिए फारेस्ट एक्ट में कड़े प्रावधान किए गए थे, बावजूद इसके पेड़ों का कटना बंद नहीं हुआ। मध्य प्रदेश जैसे राज्य में जंगल का क्षेत्रफल लगातार कम हो रहा है। ऐसी ही स्थिति कमोबेश देश के दूसरे राज्यों की है।

ऐसे में सरकार ने पर्यावरण को लेकर अपनी रणनीति को बदला है, अब वह कानून की सख्ती के साथ लोगों को जागरूक बनाने और उसे लोगों के अमल में लाने की कोशिश में भी जुटी है। इसके लिए लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों को लेकर जागरूक किया जा रहा है। यानि निर्माण कार्यों को ग्रीन कवर करना, निजी वाहनों के इस्तेमाल के बजाय पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना, घर की छतों पर पेड़-पौधे लगाकर हरा भरा करने जैसे कदम है। इसके साथ ही सरकार ने विकास से जुड़े सभी कार्यो में पर्यावरण को प्रमुखता से शामिल करने की दिशा में काम शुरु किया है।

हाल ही में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत होने वाले कामों को पर्यावरण के आधार पर प्राथमिकता से मंजूरी दी जा रही है। उम्मीद है कि सरकार ने जनजागरूकता के साथ पर्यावरण को बचाने की जो पहल शुरु की है, उसमें वह कामयाब होगी। फिलहाल पिछले कुछ सालों में लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरुकता तो बढ़ी है।

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