डीएनए टेस्ट नेताजी की मौत पर संदेह को खत्म कर देगा

अनीता बोस ने यह विचार आशीष रे द्वारा लिखी गई 'लेड टू रेस्ट : द कंट्रोवर्सी ओवर सुभाष चंद्र बोस डेथ' नामक नई किताब में व्यक्त किए हैं।

By Manish NegiEdited By: Publish:Tue, 23 Jan 2018 10:29 PM (IST) Updated:Tue, 23 Jan 2018 10:29 PM (IST)
डीएनए टेस्ट नेताजी की मौत पर संदेह को खत्म कर देगा
डीएनए टेस्ट नेताजी की मौत पर संदेह को खत्म कर देगा

नई दिल्ली, प्रेट्र। नेताजी की अस्थियों का डीएनए टेस्ट (परीक्षण) उनकी मृत्यु को लेकर लोगों के संदेह को दूर करेगा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस-फाफ यही मानती हैं। यद्यपि वह कहती हैं कि यह तभी संभव होगा जब नेताजी के अंतिम संस्कार के बाद शेष हड्डियों से डीएनए निकाला जा सके। देश आज नेताजी की 121वीं जयंती मना रहा है।

अनीता बोस ने यह विचार आशीष रे द्वारा लिखी गई 'लेड टू रेस्ट : द कंट्रोवर्सी ओवर सुभाष चंद्र बोस डेथ' नामक नई किताब में व्यक्त किए हैं। सितंबर, 1945 से टोक्यो के रेंकोजी मंदिर में रखी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अस्थियां रखी हुईं हैं। माना जाता है कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक हवाई दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी।

किताब की भूमिका में अनीता बोस ने लिखा है, 'नेताजी की अस्थियों का डीएनए परीक्षण कराना उन लोगों को सुबूत देने का एक संभावित विकल्प है, जो अगस्त 1945 में ताइहोकू में नेताजी की मौत को लेकर संदेह जताते हैं। हालांकि इस कोशिश के लिए भारत और जापान की सरकार को तैयार होना होगा।'

अनीता बोस के अनुसार, अगर 1940 के दशक के बाद उपलब्ध सामान्य जानकारी पर विचार किया जाए, तो यह समझ में आता है कि उस वक्त नेताजी के साथ क्या हुआ था, उसे लेकर लोगों में अनिश्चितता थी। आखिरकार, उस समय कुछ दस्तावेज सार्वजनिक नहीं किए गए थे। 1950 में मृत्यु होने तक शरत चंद्र बोस भी इस बात को लेकर दृढ़ थे कि उनके प्रिय भाई का निधन नहीं हुआ है। उनके इस विश्वास ने एमिली की उस उम्मीद को बरकरार रखा, कि उनके पति जीवित बच गए हैं। हालांकि 1950 के दशक के मध्य में जिस तरह के साक्ष्य उपलब्ध कराए गए, उनसे नेताजी के निधन के बारे में सिर्फ एक कहानी सामने आई कि 18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी।

chat bot
आपका साथी