बेवफाई जांचने को कराया जा सकता है बेटे का डीएनए टेस्ट
सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम अपने आदेश में कहा है कि जीवनसाथी की बेवफाई की हकीकत जांचने के लिए बच्चे के डीएनए टेस्ट की अनुमति दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर इस टेस्ट का दंपति में से कोई विरोध करता है तो इससे विरोध करने वाले के प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जाएगा।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम अपने आदेश में कहा है कि जीवनसाथी की बेवफाई की हकीकत जांचने के लिए बच्चे के डीएनए टेस्ट की अनुमति दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर इस टेस्ट का दंपति में से कोई विरोध करता है तो इससे विरोध करने वाले के प्रतिकूल निष्कर्ष निकाला जाएगा।
न्यायाधीश जेएस कहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए बच्चे का डीएनए टेस्ट कराने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता ने पत्नी पर बेवफाई का आरोप लगाते हुए कहा था कि उसके बच्चे का पिता कोई और है। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि प्रतिवादी (पति) को लगता है कि उसके लिए अपने आरोपों को साबित करने का एकमात्र जरिया डीएनए टेस्ट है। हम उससे सहमत हैं..।
शीर्ष अदालत के पूर्व में दिए गए फैसलों का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि इसलिए यह स्पष्ट है कि डीएनए टेस्ट के नतीजों की परवाह किए बगैर यह अदालत फैसला करती है कि दोनों पक्षों के हितों में संतुलन स्थापित करने के बाद अंतत: जरूरत पड़ने पर डीएनए जांच की अनुमति दी जा सकती है।
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