तीन बार तलाक को SC में चुनौती, की महिलाओं को अधिकार देने की मांग

मुस्लिम समाज में तीन बार तलाक बोलने को काशीपुर की एक महिला सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अपनी याचिका में सायरा भारतीय संविधान में महिलाओं के लिए प्रदत्त अधिकारों के सामान मुस्लि

By Kamal VermaEdited By: Publish:Tue, 08 Mar 2016 12:49 AM (IST) Updated:Tue, 08 Mar 2016 06:06 AM (IST)
तीन बार तलाक को SC में चुनौती, की महिलाओं को अधिकार देने की मांग

काशीपुर (ऊधमसिंहनगर)। मुस्लिम समाज में तीन बार तलाक बोलने को काशीपुर की एक महिला सायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। अपनी याचिका में सायरा भारतीय संविधान में महिलाओं के लिए प्रदत्त अधिकारों के सामान मुस्लिम महिलाओं को अधिकार देने की गुहार लगाई है। काशीपुर की हेमपुर दया, 116 आरटीएस डिपो निवासी इकबाल अहमद की तीन बेटियां व एक बेटा है।

इकबाल ने अपनी बड़ी बेटी सायरा बानो की शादी 11 अप्रैल, 2001 को वीआइपी कॉलोनी गौस नगर-करेली, इलाहाबाद(उप्र) निवासी रिजवान अहमद से की थी। उन्होंने पूरा दान दहेज दिया। लेकिन शादी के दो दिन बाद ही रिजवान सायरा को दहेज के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताडि़त करने लगा। सायरा ने बताया कि रिजवान दहेज में कार व चार से पांच लाख रुपये नकद की मांग कर रहा था। इसको लेकर दो बार समझौता हुआ। 2002 से 2014 तक सब ठीक ठाक रहा। इस बीच उसके दो बच्चे इरफान व हुमेरा नाज हुए। हुमेरा के होने के बाद उसका छह से सात बार गर्भपात करा दिया गया। इससे वह शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो गई।

मौखिक तलाक के खिलाफ हैं 92 फीसद महिलाएं: सर्वे

आरोप है कि 2015 आते ही रिजवान ने फिर परेशान करना शुरू कर दिया। बीमार होने के बाद रिजवान ने इलाज नहीं करवाया। उसे और दोनों बच्चों को मुरादाबाद ले जाकर छोड़ दिया और इकबाल अहमद को फोन कर उन्हें ले जाने के लिए कहा। सायरा ने बताया कि बीती दस अक्टूबर, 2015 को रिजवान का फोन आया कि मकान के कुछ कागज भेज रहा हूं, जिसे रिसीव कर लेना। जब कागज रिसीव किए तो पता लगा कि वह तलाकनामा था।

इसके बाद बीती 23 फरवरी, 2016 को सायरा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तीन बार तलाक पर रोक लगाने की मांग की। याचिका में पीडि़त शायरा ने पति रिजवान, भारत संघ, विधि एवं न्याय मंत्रालय, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय, राष्ट्रीय महिला आयोग को प्रतिवादी बनाया है। सायरा ने सवाल उठाए हैं कि निकाह के दौरान मुफ्ती लड़के व लड़की से निकाह के लिए हामी भरवाते हैं फिर तलाक के लिए लड़की से क्यों नहीं पूछा जाता। पुरुष के कहने पर ही तलाक क्यों मान लिया जाता है।

chat bot
आपका साथी