कर्मचारियों की कमी के संकट से जूझती एयर इंडिया, सरकार के लिए चुनौती

अगस्त से पहले महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती के उपाय नहीं किए जाते तो एयर इंडिया के लिए सामान्य आपरेशंस को विधिवत चलाए रखना मुश्किल हो जाएगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Mon, 18 Feb 2019 08:38 PM (IST) Updated:Mon, 18 Feb 2019 08:38 PM (IST)
कर्मचारियों की कमी के संकट से जूझती एयर इंडिया, सरकार के लिए चुनौती
कर्मचारियों की कमी के संकट से जूझती एयर इंडिया, सरकार के लिए चुनौती

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एयर इंडिया को चलाए रखना सरकार के लिए दिनोदिन चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। किसी वक्त कर्मचारियों की भारी-भरकम फौज से दबी एयर इंडिया इन दिनो कर्मचारियों की कमी से जूझ रही है। उसके पास इतने कर्मचारी भी नहीं बचे हैं कि रोजमर्रा के आपरेशंस को सुचारु रूप से चला सके। ऐसे में प्रतिस्प‌र्द्धी एयरलाइनों के मुकाबले अपने बाजार हिस्से को बनाए रखने में उसे खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा रहा है।

30 हजार कर्मचारियों वाली एयर इंडिया में अब 10 हजार से कम कर्मी

पांच वर्ष पहले तक एयर इंडिया में तकरीबन 30 हजार कर्मचारी कार्यरत थे। लेकिन आज दस हजार से भी कम कर्मचारी बचे हैं। ज्यादातर कर्मचारी या तो स्वाभाविक तौर पर रिटायर हो गए हैं। अथवा उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है। जबकि अपेक्षाकृत युवा कर्मचारियों ने निजी क्षेत्र की कंपनियों और एयरलाइनों में नौकरियां ज्वाइन कर ली हैं।

अगस्त में दो-तीन हजार कर्मचारियों के रिटायर होने से बढ़ेगा संकट

सूत्रों के मुताबिक एयर इंडिया के सामने असली संकट छह महीने बाद आने वाला है, जब अगस्त में दो-तीन हजार कर्मचारी और सेवानिवृत्त होंगे। इनमें से ज्यादातर ऐसे अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं जिन्हें एयर इंडिया की आपरेशनल रीढ़ माना जाता है। इनमें कई कार्यकारी निदेशक और निदेशक शामिल हैं। जबकि एयरलाइन पहले से ही उच्च स्तर पर अधिकारियों की कमी से जूझ रही है और लंबे अरसे से केवल दो पूर्णकालिक निदेशकों से काम चला रही है।

एयर इंडिया से जुड़े रहे एक अधिकारी ने कहा, 'मौजूदा हालात में एयर इंडिया को चलाना आसान नहीं है। जब तक सरकार ने एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश का निर्णय नहीं लिया था, हालात अपेक्षाकृत बेहतर थे। लेकिन विनिवेश का दांव फेल होने के बाद एयर इंडिया को चलाना और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गया है।

अब यदि एयर इंडिया को विनिवेश के लायक स्थिति में लाना है तो सरकार को वित्तीय संसाधनों के अलावा नए मानव संसाधन की खोज और भर्ती के इंतजाम भी करने होंगे।'

इस समय एयर इंडिया के पास कर्मचारियों की जो लॉट बची है, उसमें ज्यादातर पायलट, इंजीनियर और तकनीशियन जैसे अत्यावश्यक कर्मचारी शामिल हैं। जबकि मार्केटिंग और अन्य बैक एंड स्टाफ का भारी टोटा है। इनके बगैर एयर इंडिया सिर्फ जरूरी आपरेशंस तो कर सकती है। परंतु प्रतिस्प‌र्द्धी एयरलाइनों के साथ मुकाबले में आगे नहीं कर सकती। सरकार और प्रबंधन की ओर से अभी तक नए कर्मचारियों की भर्ती के कोई संकेत नहीं दिए गए हैं।

आम चुनाव नजदीक होने से भर्तियों की घोषणा जल्द होना जरूरी है। अन्यथा बाद में आचार संहिता के कारण इसमें अड़चन आ सकती है। यदि अगस्त से पहले महत्वपूर्ण पदों पर भर्ती के उपाय नहीं किए जाते तो एयर इंडिया के लिए सामान्य आपरेशंस को विधिवत चलाए रखना भी मुश्किल हो जाएगा, जिससे एयरलाइन की हालत और खराब हो सकती है। 

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