गौमूत्र की वजह से भारत में खड़ा हो रहा है एक नया व्यापार, जानिए कैसे?

बेड़े में मौजूद करीब 250 गाय और उनके बछड़ों से करीब 200 लीटर गौमूत्र जमा हो जाता है। वैदिक परंपरा के अनुसार गौमूत्र को औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था।

By Atul GuptaEdited By: Publish:Sun, 31 Jul 2016 10:04 AM (IST) Updated:Sun, 31 Jul 2016 10:12 AM (IST)
गौमूत्र की वजह से भारत में खड़ा हो रहा है एक नया व्यापार, जानिए कैसे?

मुंबई। इन दिनो गाय चर्चा में बनी हुई है। गाय पर राजनीति भी जोर-शोर से चल रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में गाय की वजह से एक नया उद्योग चल पड़ा है जोकि तेजी के साथ बढ़ रहा है। ये उद्योग है गौमूत्र उद्योग। आर्युवेद में गौमूत्र से गई गंभीर बीमारियों में चमत्कारी परिणाम का जिक्र किया है। यही वजह है कि गौमूत्र की मांग बढ़ रही है और अब गौमूत्र की वजह से कई परिवारों की रोटी-रोजी चल रही है।

ठाणे जिले के भायंदर इलाके में मौजूद केशव श्रुस्ति गौशाला में हर सुबह करीब चार बजे कर्मचारी अपने हाथों में बालटियां लेकर गायों के बेड़े में जाते हैं। इनका उद्देश्य गाय के पहले मूत्र को जमा करना होता है। बेड़े में मौजूद करीब 250 गाय और उनके बछड़ों से करीब 200 लीटर गौमूत्र जमा हो जाता है जिसे पास ही की एक दूसरी यूनिट में लाया जाता है और वहां उसे बोतल में भरकर देशभर में भेजा जाता है। इसकी कीमत 20 रूपये से लेकर 80 रूपये प्रति बोतल होती है।

वैदिक परंपरा के अनुसार गौमूत्र को औषधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। पिछले कुछ सालों में दुनियाभर में योग की और प्राकृतिक उपचारों का उपयोग बढ़ा है तबसे गौमूत्र की मांग में भी तेजी से वृद्धि आई है। गौमूत्र का इस्तेमाल कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्त चाप और थाईराइड जैसी बीमारियों के लिए बनाई जाने वाली आर्युवेदिक दवाईयों में किया जाता है।

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