दिल के मरीजों के लिए खुशखबरी, धमनी में जमा ब्लॉकेज को तोड़ना अब हुआ आसान

डॉ. अशोक सेठ ने बताया कि एंजियोप्लास्टी द्वारा कैल्शियम की कड़ी परत का इलाज करना एक बड़ी चुनौती है। इस नई तकनीक की मदद से अब ऐसे ब्लॉकेज को खोलना आसाना हो गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 25 Feb 2020 03:19 PM (IST) Updated:Tue, 25 Feb 2020 03:32 PM (IST)
दिल के मरीजों के लिए खुशखबरी, धमनी में जमा ब्लॉकेज को तोड़ना अब हुआ आसान
दिल के मरीजों के लिए खुशखबरी, धमनी में जमा ब्लॉकेज को तोड़ना अब हुआ आसान

नई दिल्ली। अस्वास्थ्यकर जीवनशैली की वजह से काफी इजाफा हुआ है दिल की बीमारियों का। अगर इनकी रोकथाम के लिए आवश्यक है स्वास्थ्यकर आहार-विहार और तनावमुक्त जीवन तो निदान के लिए मेडिकल साइंस में तलाशे जा रहे हैं नए और कारगर उपचार। 

दिल की बीमारियों के इलाज में कोरोनरी शॉकवेव लीथोट्रिप्सी ट्रीटमेंट प्रक्रिया सबसे आधुनिक मानी जाती है। अब हमारे देश में भी उपलब्ध इस प्रक्रिया में धमनी में जमा ब्लॉकेज को शॉकवेव लीथोट्रिप्सी के जरिए वहीं पर टुकड़े-टुकड़े करके निकाल दिया जाता है। आइए आज जानें इसके सबसे आधुनिक ट्रीटमेंट कोरोनरी शॉकवेव लीथोट्रिप्सी के बारे में... जानें क्‍या कहते है नई दिल्ली के कार्डियोलॉजी फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के चेयरमैन डॉ. अशोक सेठ

भारत के पहले लीथोट्रिप्सी ट्रीटमेंट का उपयोग कर 67 वर्षीय हार्ट अटैक के मरीज के गंभीर ब्लॉकेज को सफलतापूर्वक खोला गया। मरीज की धमनी 90 फीसद बंद हो चुकी थी, जिसे सामान्य तकनीक यानी कि बैलून एंजियोप्लास्टी की मदद से खोला नहीं जा सकता था। इस ब्लॉकेज को खोलने के लिए धमनी में शॉकवेव बैलून को प्रवेश कराया गया। इस तकनीक की मदद से बहुत ही कम प्रेशर में ब्लॉकेज को खोलना संभव हो सका।

क्या है यह नई तकनीक: शॉकवेव कोरोनरी लीथोट्रिप्सी की मदद से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) के एडवांस चरण वाले मरीज का भी इलाज करना संभव हो पाता है, जिनकी धमनी में कैल्शियम इकट्ठा होने के कारण ब्लॉकेज बन जाता है। ऐसी स्थिति ज्यादातर एंजियोप्लास्टी के 20-25 फीसद मरीजों में खासतौर पर अधिक उम्र, डायबिटीज, कोरोनरी किडनी डिजीज आदि के कारण बनती है।

अमेरिका स्थित शॉकवेव मेडिकल द्वारा लॉन्च की गई इंट्रावैस्कुलर लीथोट्रिप्सी एक अनोखी तकनीक है, जो कैल्शियम की कड़ी परत को हटाने के लिए दिल की धमनियों में सोनिक प्रेशर वेव्स बनाती है। इस तकनीक की मदद से गंभीर से गंभीर ब्लॉकेज को खोलना आसान हो जाता है। यह थेरेपी एक मिनिमली इनवेसिव प्रक्रिया है। इस अनोखी और शानदार तकनीक का इस्तेमाल सबसे पहले हमने किया, जिसकी मदद से अब हम गंभीर एंजियोप्लास्टी वाले मरीजों का इलाज करने में सक्षम हैं।

एंजियोप्लास्टी द्वारा कैल्शियम की कड़ी परत का इलाज करना एक बड़ी चुनौती है। इस नई तकनीक की मदद से अब ऐसे ब्लॉकेज को खोलना आसाना हो गया है, जिसके परिणाम व्यक्ति के जीवन को लंबे समय के लिए बेहतर बनाते हैं। इंट्रावैस्कुलर लीथोट्रिप्सी द्वारा निकाली गई सोनिक प्रेशर वाली वेव्स कैल्शियम की कड़ी परत को निकालने वाला एक बेहद सफल और सुरक्षित इलाज है, जिसमें सर्जरी के बाद की मुश्किलें कम होती है और मरीज लंबे समय के लिए एक बेहतर जीवन का आनंद ले पाता है।

दिल की धमनियों में कैल्शियम एकत्रित होने लगता है, जो धीरे- धीरे एक कड़ी परत तैयार करता है। यह परत धमनी में ब्लॉकेज का काम करती है, जिसके बाद धमनियां सामान्य रूप से काम करना बंद कर देती हैं। इससे मरीज में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, पहले इसका इलाज करना बहुत मुश्किल काम था, लेकिन अब ब्लॉकेज से निपटना आसान हो गया है।

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