कारोबार का अवसर भी है क्लीनिकल ट्रायल : नीति आयोग
आयेाग ने देश के विकास की त्रिवर्षीय कार्ययोजना के ड्राफ्ट में यह महत्वपूर्ण सिफारिश की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में चिकित्सा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल देते हुए नीति आयोग ने क्लीनीकल ट्रायल के लिए मंजूरी प्रक्रिया में व्यापक सुधार की वकालत की है। आयोग का कहना है कि क्लीनीकल ट्रायल कारोबार का बड़ा अवसर है, इसलिए इसकी मंजूरी प्रक्रिया सरल बनायी जानी चाहिए।
आयेाग ने देश के विकास की त्रिवर्षीय कार्ययोजना के ड्राफ्ट में यह महत्वपूर्ण सिफारिश की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई नीति आयोग की गवर्निग काउंसिल की बैठक में त्रिवर्षीय कार्ययोजना पर विचार विमर्श किया गया। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी शामिल हुए थे।
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चिकित्सा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने की जरूरत बताते हुए आयोग का कहना है कि भारत में क्लिनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी प्रक्रिया बेहद जटिल और लंबी है। भारत में क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी लेने में फिलहाल करीब दो साल लगते हैं जबकि सिंगापुर में यह मंजूरी सिर्फ तीन महीने में मिल जाती है। इसलिए मौजूदा मंजूरी प्रक्रिया में व्यापक सुधार की जरूरत है। आयोग का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल व्यवसायिक दृष्टि से भी एक अवसर है।
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त्रिवर्षीय कार्ययोजना में आयोग की यह सिफारिश इसलिए अहम है क्योंकि पिछले साल उसने स्वास्थ्य मंत्रालय को भी इस संबंध में एक पत्र लिखकर देश में चिकित्सा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने की वकालत की थी। आयोग की दलील है कि ऐसा होने पर ही भारत दुनियाभर में चिकित्सा के क्षेत्र में मैन्युफैक्चरिंग का हव बनकर उभर सकता है। आयोग ने देश में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भी कई सुझाव इस कार्ययोजना में दिए हैं।