पैसे लेकर सवाल पूछने मामले में 11 पूर्व सांसदों पर मुकदमा, 12 जनवरी से सुनवाई

2005 के पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में कोर्ट ने 11 पूर्व सांसदों पर भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप तय किए हैं।

By Monika MinalEdited By: Publish:Fri, 08 Dec 2017 10:13 AM (IST) Updated:Fri, 08 Dec 2017 10:13 AM (IST)
पैसे लेकर सवाल पूछने मामले में 11 पूर्व सांसदों पर मुकदमा, 12 जनवरी से सुनवाई
पैसे लेकर सवाल पूछने मामले में 11 पूर्व सांसदों पर मुकदमा, 12 जनवरी से सुनवाई

नई दिल्ली (एजेंसी)। दिल्ली की एक अदालत ने 2005 के पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में 11 पूर्व सांसदों पर गुरुवार को भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप तय किए। विशेष न्यायाधीश किरण बंसल ने 11 पूर्व सांसदों और एक अन्य व्यक्ति पर मुकदमा चलाने के आदेश दिए। यह मुकदमा 12 जनवरी से शुरू होगा।

इस मामले में तत्कालीन सांसद वाईजी महाजन ([भाजपा)], छत्रपाल सिंह लो़ढ़ा ([भाजपा)], अण्णा साहेब एमके पाटिल ([भाजपा)], मनोज कुमार ([राजद)], चंद्र प्रताप सिंह ([भाजपा)], राम सेवक सिंह ([कांग्रेस)], नरेंद्र कुमार कुशवाहा ([बसपा)], प्रदीप गांधी ([भाजपा)], सुरेश चंदेल ([भाजपा)], लाल चंद्र कोल ([बसपा)] और राजा रामपाल ([बसपा)] को आरोपी बनाया गया है। निजी चैनल पर प्रसारित हुआ था स्टिंग दो पत्रकारों ने तत्कालीन सांसदों के खिलाफ एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था जो 12 दिसंबर, 2005 को एक निजी समाचार चैनल पर प्रसारित हुआ था। यह स्टिंग, जिसमें संसद में सवाल पूछने के बदले में पैसे लेने की बात सामने आई थी।

दिसंबर 2005 में लोकसभा ने 10 सदस्यों को निष्कासित कर दिया था जबकि लो़़ढा को राज्यसभा से हटाया गया था। एक आरोपी की हो चुकी है मौत अभियोजन पक्ष ने अपनी दलीलों के समर्थन में सीडी और डीवीडी पेश की, जिसमें आरोपियों और अन्य के बीच हुई बातचीत है। विशेष लोक अधिवक्ता अतुल श्रीवास्तव ने बताया कि अदालत ने रामपाल के तत्कालीन निजी सहायक रवींद्र कुमार के खिलाफ भी आरोप तय किए हैं। एक अन्य आरोपी विजय फोगाट के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि उसकी मौत हो चुकी है।

फोगाट ने इस मामले में कथित तौर पर एक बिचौलिए की भूमिका निभाई थी। 2009 में आरोप-पत्र दाखिल किया था अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आईपीसी के तहत आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए हैं। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में वषर्ष 2009 में आरोप-पत्र दाखिल किया था। पूर्व सांसदों के अलावा दो पत्रकारों का भी नाम आरोप-पत्र में शामिल किया गया था, जिन पर भ्रष्टाचार निरोधी कानून के तहत कथित रूप से अपराध को ब़़ढावा देने के आरोप थे। निचली अदालत ने उन्हें समन भेजा था। लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ जांच को रद्द कर दिया था।

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